- उम्र बढ़ी और साथ में घुटनों का दर्द भी। जानिए क्या है Arthritis आर्थराइटिस ? इसके कारण , लक्षण और इलाज
- Arthritis Kya Hota Hai – What Is Arthritis In Hindi?
- Arthritis Ke Lakshan – Symptoms of Arthritis In Hindi?
- अर्थराइटिस रोग के क्या कारण हैं – Arthritis Kyu Hota Hai?
- Arthritis Ke Gharelu Upay – अर्थराइटिस रोग से बचने के लिए क्या करें?
- Arthritis Conclusion in Hindi
उम्र बढ़ी और साथ में घुटनों का दर्द भी। जानिए क्या है Arthritis आर्थराइटिस ? इसके कारण , लक्षण और इलाज
Arthritis को जोड़ों का रोग भी कहां जाता है अर्थराइटिस का दर्द बहुत ही ज्यादा दर्दनाक होता है इसका दर्द इतना अधिक होता है कि आपको घुटने मोड़ने या फिर चलने फिरने में भी बहुत ज्यादा परेशानी होती है, अर्थराइटिस रोग में अक्सर घुटनों में सूजन भी आ जाती है
हमारी आजकल की जीवनशैली कुछ ऐसी हो गई है जिसके कारण उम्र बढ़ने के साथ-साथ Arthritis रोग ज्यादा से ज्यादा लोगों को होने लगा है, इस प्रकार की Arthritis में हमारे जोड़ों के Cartilage घिस जाते हैं और हमारे जोड़ों में चिकनाहट भी कम होने लगती है। इस स्थिति को डॉक्टरों की भाषा में इस रोग को Osteoarthritis
वैसे तो 40 से 50 साल की उम्र में यह बीमारी लोगों में ज्यादा होती है, परंतु आजकल की जीवन शैली के कारण यह बीमारी 30 से 35 वर्ष के लोगों में भी होने लगी है परंतु चिंता की बात नहीं है अब हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से Arthritis Ke Lakshan बताएंगे और इसके के साथ-साथ आज आप इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे की Arthritis Meaning In Hindi? Arthritis Kya Hota Hai? Arthritis Symptoms? Arthritis Ke Upay? Arthritis Ke Liye Yoga? Arthritis Ke Gharelu Nuskhe?
Arthritis Kya Hota Hai – What Is Arthritis In Hindi?
यदि हम बात करें की Arthritis Kya Hota Hai तो हम आपको बता दें, कि अर्थराइटिस जोड़ों की बीमारी को कहां जाता है यह इस तरह की बीमारी है, जिसमें आपके घुटनों के जोड़ों में चिकनाहट खत्म हो जाती है जिसके कारण आप ना तो ठीक ढंग से चल सकते और ना ही अपने घुटनों को हिला सकते हैं, क्योंकि चिकनाहट खत्म होने के कारण वह एक ही जगह स्थिर हो जाते हैं जिसके कारण यदि आप ज्यादा चलने फिरने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें बहुत ज्यादा दर्द होता है।
Arthritis Ke Lakshan – Symptoms of Arthritis In Hindi?
वैसे शुरुआत में तो हमें इस रोग के बारे में इतना ज्यादा पता नहीं लगता, क्योंकि शुरुआती दौर में हमें घुटनों में थोड़ा बहुत दर्द महसूस होता है परंतु जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, वैसे वैसे यह बीमारी भी अपना रूप लेने लगती है जिसके कारण आपको बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, चलिए अब हम आपको नीचे कुछ लक्षण बता रहे हैं जिनसे आप इस बीमारी की पहचान कर सकते हैं :-
- अर्थराइटिस रोग का सबसे बड़ा लक्षण तो यही है कि इस रोग में आपके जोड़ों में बहुत ही ज्यादा दर्द होता है, आप मान लीजिए कितना दर्द होता है कि वह बर्दाश्त से बाहर होता है।
- यदि आपके घुटनों में तिरछापन आ गया है तो भी आपको अर्थराइटिस रोग हो सकता है।
- यदि आप से ठीक ढंग से नहीं चला जा रहा और आप चलते तो हैं, परंतु आप जल्दी थक जाते हैं या फिर चलते चलते घुटने दर्द हो जाते हैं तो यह भी अर्थराइटिस रोग का लक्षण है।
- यदि आप सीढ़ियां चढ़ते उतरते हैं तो उस दौरान भी अगर आपके घुटनों पर ज्यादा जोर पढ़ रहा है, या फिर घुटनों पर सूजन आ जाती है तो यह भी इसी रोग का लक्षण है।
अर्थराइटिस रोग के क्या कारण हैं – Arthritis Kyu Hota Hai?
जब हमारी उम्र 50 से 60 वर्ष के बीच में होती है, तो उस समय भी हमें अर्थराइटिस रोग होने की संभावना ज्यादा रहती है क्योंकि बुढ़ापे में हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है, जिसके कारण हमें ऐसी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।
यदि हम बुढ़ापे में सिर्फ एक ही जगह बैठे रहते हैं, और यदि हम अपने शरीर को ज्यादा नहीं हिलाते ढुलाते तो भी हमें इस बीमारी का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि जब हम अपने पैरों को ज्यादा नहीं चलाएंगे तो उसके कारण हमारे घुटनों में मौजूद चिकनाई खत्म होने लगती है, और घुटनों में चिकनाई खत्म होने के कारण हमें अर्थराइटिस रोग हो सकता है।
यदि हमारे शरीर का वजन कुछ ज्यादा ही है, तो भी हमें इस बीमारी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि यदि हमारे शरीर का वजन हमारी लंबाई के अनुसार 5 किलो भी ज्यादा है, तो भी वह हमारे घुटनों पर बहुत ज्यादा बुरा असर डालता है इसीलिए आपको अपना वजन नियंत्रण में रखना चाहिए।
यह रोग Genetic भी हो सकता है यदि आपकी फैमिली में किसी को यह रोग है तो ज्यादा चांसेस होते हैं, कि आपको भी यह रोग हो जाए ज्यादातर महिलाओं में ऐसा पाया जाता है।
यदि बचपन से ही हमारे शरीर में Vitamin – D की कमी रहे तो इसके कारण भी हमें अर्थराइटिस रोग 20 से 35 साल की उम्र में हो सकता है।
यदि आपके घुटने पर चोट लग जाती है, और आप उस चोट का ठीक ढंग से इलाज ना करें, तो उसके कारण भी यह रोग हो सकता है।
Arthritis Ke Gharelu Upay – अर्थराइटिस रोग से बचने के लिए क्या करें?
वैसे तो यदि हम बचपन से ही अपने शरीर पर नियंत्रण रखें, तो हमें कभी भी इस बीमारी का सामना नहीं करना पड़ेगा, परंतु आजकल हमारी जीवनशैली कुछ ऐसी हो गई है जिसके कारण हमारे शरीर को पोषक तत्व नहीं मिल पाते और यह बीमारी हमें हो ही जाती है, तो चलिए हम आपको कुछ Arthritis Ke Gharelu Upay बता देते हैं। जिनसे आपको बहुत मदद मिलेगी :-
1. प्रतिदिन एक्सरसाइज करें
आपको पता ही है कि यदि आप प्रतिदिन नियमित रूप से एक्सरसाइज करते हैं, तो एक्सरसाइज करने से आपका शरीर पूरी तरह से स्वस्थ रहता है, क्योंकि एक्सरसाइज करने से हमारे शरीर के सभी अंगों में रक्त का संचार ढंग से होता है।
एक्सरसाइज करने से हमारे जोड़ों के आसपास की सभी मांसपेशियां काफी ज्यादा मजबूत बन जाती हैं, जिसके कारण हमें अर्थराइटिस रोग का सामना कभी भी नहीं करना पड़ता, और यदि आप की उम्र 40 साल से ज्यादा है तो आप को नियमित रूप से प्रातः काल सैर करने जाना चाहिए, क्योंकि ज्यादातर यह बीमारी 40 साल की उम्र के बाद ही आपको अपना शिकार बनाती है।
2. थेरेपी
यदि आप अर्थराइटिस बीमारी से जूझ रहे हैं तो हम आपको बता दें कि आपके लिए दवाई लेना ही काफी नहीं है, क्योंकि सिर्फ दवाई आपको ठीक नहीं कर सकती दवाई लेने के साथ-साथ आपको थेरेपी की भी आवश्यकता है, इसीलिए आपको किसी अच्छे थैरेपिस्ट से जोड़ों की थेरेपी भी करवानी चाहिए क्योंकि थेरेपी करवाने से भी आपको बहुत ज्यादा आराम मिलता है और इस रोग से लड़ने की क्षमता मिलती है, थेरेपी करवाने के पश्चात आप तरोताजा महसूस करते हैं।
3. मसाज
यदि आपको अर्थराइटिस लोग हैं तो दवाई के साथ-साथ आपको अपने घुटनों की मसाज भी करनी चाहिए, क्योंकि डॉक्टर आपको अक्सर दवाई के साथ-साथ घुटनों की मालिश करने के लिए तेल जरूर देते हैं, और आप जब भी इस तेल से मालिश करते हैं तो आपको कम से कम 20 से 25 मिनट तक अपने घुटनों पर मालिश करनी चाहिए, ताकि यह तेल आपके घुटनों की मांसपेशियों तक पहुंच सके।
क्योंकि जब तेल मांसपेशियों तक पहुंचता है तो तभी वह अपना असर दिखा पाता है, और इस बीमारी से लड़ने के लिए आपको दिन में तीन से चार बार अपने घुटनों पर मालिश जरूर करनी चाहिए।
4. पोस्टिक आहार का सेवन करें
ज्यादातर बुढ़ापे में यदि अर्थराइटिस बीमारी होती है तो इसका कारण यह भी होता है, कि आपके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती हैं यदि आप पोस्टिक आहार का सेवन करते हैं, तो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिसके कारण आपके शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है।
पोस्टिक आहार जैसे कि आपको हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए, इसके साथ-साथ आपको दालों का सेवन जरूर करना चाहिए क्योंकि दालों में भरपूर मात्रा में सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो कि हमारे शरीर की जरूरतों को पूरा करते हैं और हमें बीमारियों से लड़ने की शक्ति भी देते हैं।
5. विटामिन – D वाले भोजन का सेवन करें
ज्यादातर यदि हमें जोड़ों से संबंधित कोई रोग होता है, तो उसका एक कारण यह भी हो सकता है कि आपके शरीर के अंदर विटामिन – D की कमी है, इसीलिए आपको ऐसे पोषक तत्वों का सेवन करना चाहिए जिनमें विटामिन – D भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
6. गर्म दूध तथा हल्दी
आपको पता ही है कि दूध और हल्दी दोनों ही प्राकृतिक औषधि हैं, दूध तथा हल्दी दोनों में ही बहुत से गुण पाए जाते हैं, जो कि हमारे शरीर की बहुत सी परेशानियों को दूर करते हैं हल्दी में बहुत से एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो कि हमारे शरीर में मांसपेशियों की मरम्मत करते हैं और दूध में कैल्शियम की मात्रा बहुत अधिक पाई जाती है।
आपको रोजाना एक गिलास दूध में एक चम्मच हल्दी डालकर इसे अच्छे से मिक्स करना हैष और फिर इसे दिन में दो से तीन बार पीना हैष यदि आप प्रतिदिन ऐसा करते हैं तो आपको अर्थराइटिस बीमारी से लड़ने में बहुत ही क्षमता मिलेगी, इसके साथ-साथ आपके शरीर में कैल्शियम की कमी भी पूरी होगी और आपकी मांसपेशियां भी मजबूत होंगी।
7. शरीर में पानी की कमी ना होने दें
यदि आप अर्थराइटिस बीमारी से जूझ रहे हैं, तो आपको अपने शरीर में पानी की कमी बिल्कुल भी नहीं होने देनी चाहिए, क्योंकि आपको पता ही होगा की पानी की कमी के कारण हमें बहुत से घातक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है, और यदि आप अपने शरीर में पानी की मात्रा को नियंत्रण में रखते हैं तो भी आप अर्थराइटिस रोग से लड़ सकते हैं।
8. गर्म तेल तथा लहसुन
लहसुन में बहुत अधिक गुण पाए जाते हैं जिसके कारण यह पूरे विश्व में प्रसिद्ध है यदि आप एक कटोरी में तीन से चार चम्मच तेल डालकर उसमें लहसुन के छोटे-छोटे पीस काट कर डाल दें, और उसको थोड़ी देर तक पकने दें फिर ठंडा होने के पश्चात यदि आप उस तेल की मालिश करते हैं तो आपको अर्थराइटिस रोग में बहुत ही आराम मिलता है, क्योंकि यह तेल हमारे घुटनों में जाकर मांसपेशियों को मजबूत बनाता है तथा घुटनों के अंदर खत्म हो गई चिकनाहट को
फिर से बनाने में मदद करता है, इसीलिए आपको गर्म तेल मे लहसुन को पका कर इसका उपयोग अवश्य करना चाहिए।
Arthritis Conclusion in Hindi
आशा है कि आपको हमारी यह पोस्ट बहुत ही पसंद आई होगी, इस पोस्ट के माध्यम से हमने जाना है कि Arthritis Kya Hota तथा इसके साथ साथ हमने Arthritis Ke Gharelu Upay भी जाने हैं, जिनकी सहायता से आपको अर्थराइटिस रोग में बहुत ही सहायता मिलेगी आशा है कि आपको यह भी पता लग गया होगा, कि Arthritis Ke Karan Kya Hai यदि अब भी आपको अर्थराइटिस रोग के बारे में कोई जानकारी चाहिए हो तो आप कमेंट सेक्शन में कमेंट कर सकते हैं। धन्यवाद