ZyCoV-D कोरोना की सुई मुक्त वैक्सीन को मिल गई मंजूरी: 12 वर्ष से ऊपर सभी लोगों का किया जाएगा टीकाकरण
20 अगस्त 2021 को दुनिया की पहली कोरोना कि प्लाजमिक डीएनए वैक्सीन के लिए आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया द्वारा प्राप्त किया गया है। जायस कैडिला कंपनी ने इस घोषणा को किया। यह एक ऐसा वैक्सीन है जिसमें टीके की तीन खुराक ली जाएगी।
इस खुराक को इस प्रकार लगाया जाएगा, पहली खुराक शून्य दिन, दूसरी खुराक 28 वें दिन और तीसरी खुराक 56 वें दिन। इस टीके की खुराक को 12 से 18 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों को भी लगाया जाएगा। अतः भारत को अब व्यस्त आबादी के अलावा किशोरों की आबादी के लिए भी कोविड-19 की मंजूरी दे दी गई है।
ZyCoV-D एक ऐसा टीका है जिसमें हुई नहीं पाई जाएगी, अर्थात यह सुई मुक्त है। इस टीके को The PharmaJet ने प्रसारित किया तथा यह एप्लीकेटर मुक्त हैं, जिसको देने से किसी प्रकार का दर्द महसूस नहीं होता। यह दर्द रहित वैक्सीन है।
मानव के लिए यह पहली बार है जब प्लाजमिक डीएनए प्लेटफार्म पर उन्नत वैक्सीन, तकनीकी रूप से विकसित हुई और यह सफल भी रहा। वायरस में उत्परिवर्तन से लड़ने के लिए अपने मजबूत प्लग एंड प्ले तकनीक से आराम से अनुकूलित, पहले से होते हुए आ रहा है और किया भी जा सकता है। Zydus Cadila कंपनी की योजना है कि वह प्रतिवर्ष 10 से 12 करोड वैक्सीन ZyCoV-D की खुराक बनाएगी।
इस उन्नत पर कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड के अध्यक्ष श्री पंकज आर पटेल ने कहा कि ZyCoV-D भारत के इतिहास में ऐसा मील का पत्थर है जिससे नवाचार का उत्पाद हो सकता है। यह विश्व का पहला डीएनए आधारित वैक्सीन हैं जो मनुष्य की उपयोग के लिए बनाया गया है। वर्ल्ड के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान होने के कारण या सफल हो सका है।
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कंपनी ने कहा कि हमें खुशी है यह वैक्सीन की खुराक कोरोनावायरस से लड़ने में विशेष रूप से योगदान देने के साथ-साथ 12 से 18 साल के लोगों की आबादी का टीकाकरण भी कर सकता है। इस वैक्सीन को 2से 8 डिग्री तापमान पर स्टोर किया जाना चाहिए।
उन्होंने सभी स्वयंसेवकों, शोधकर्ताओं, नैदानिक परीक्षण जांचकर्ताओं, नियामकों को तहे दिल से शुक्रिया करना चाहता हूं जिसने इस प्रयास को बढ़ावा दिया।कंपनी की योजना है कि दो खुराक लेने वाले टीके की खुराक की भी मंजूरी लेना। अनुकूलित प्रतिरक्षा प्रणाली के कोशिकीय और हास्य दोनों प्रकार की भुजाओं को उत्तेजित कर सकता है। विशिष्ट इम्यूनोथेरेपी का एक मूल्यवान रुक एंटीजन भी है क्योंकि इससे आसानी से उत्पादित किया जा सकता है और साथ ही साथ यह स्थिर और सुरक्षित भी है।
यह वैक्सीन प्लाजमीद डीएनए वैक्सीन हैं जो शरीर में प्रवेश करने के बाद सार्स-कोव-2 वायरस जैसे स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन नहीं होने देती है तथा इम्यून सिस्टम के ह्यूमरल और सेल्यूलर आर्म्स की सहायता से इम्यून रिस्पांस प्राप्त कर शरीर के वायरस को नष्ट और बीमारी से सुरक्षा प्रदान करती हैं।
ZyCoV-D वैक्सीन को अप्रूवल मिल चुकी है कि वह 12 से 18 वर्ष के लोगों को वैक्सीन की खुराक दे सकता है। डीएनए आधारित कोरोना वैक्सीन ट्रायल में 66 परसेंट तक पूरी तरह से असरदार साबित हुई। भारत में छठवीं वैक्सीन है जिसे मंजूरी दी गई है। इसके अलावा पांच वैक्सीन कोविशील्ड, कोवैक्सिन, स्पुतनिक V, मॉडर्ना और जॉनसन हैं।
फिलहाल भारत में 3 वैक्सीन का उपयोग सबसे अधिक किया जा रहा है जो कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पुतनिक वी हैं।ZyCoV-D का ट्रायल जब शोधकर्ताओं द्वारा किया गया तो यह 66.6 परसेंट तक प्रभावशाली दिखा, इस टीके के लगाने के बाद कोई भी मरीज के गंभीर संक्रमण या कोरोना के कारण मृत्यु के मामले सामने नहीं आये।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) ने कहा कि ZyCoV-D फर्स्ट डीएनए बेस्ड टीका है, जब इंजेक्शन लगाया जाता है तो SARS-CoV-2 वायरस का स्पाइक प्रोटीन पैदा करता है और एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया प्राप्त कर, रोग से सुरक्षा प्रदान करता है।CoWIN पोर्टल के अनुसार, देश में अब तक कोविड टीकों की 57.5 करोड़ से अधिक खुराकें दी जा चुकी हैं।