US CDC Delta Variant Update – US Centre For Disease & Control का डेल्टा वैरिएंट को लेकर क्या है कहना।
दुनिया भर में कोरोना महामारी ने लाखों लोगों को संक्रमित किया है लेकिन इस महामारी के नए-नए रूप जैसे कि डेल्टा वेरिएंट और डेल्टा प्लस वैरीएंट ज्यादा खतरनाक हो रहे हैं। कोविड के खिलाफ लड़ने वाले वैक्सिंग को डेल्टा वेरिएंट के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था और रिपोर्ट के मुताबिक जिसका प्रभाव लोगों में काफी नजर आ रहा था।
लेकिन कुछ समय पहले रोग नियंत्रण और रोकथाम केन्द्रों के द्वारा एक अध्ययन किया गया जिसके अनुसार अमेरिका में दूसरी लहर के बाद डेल्टा वेरिएंट ज्यादा प्रभावशाली हो गए हैं जिसके कारण इसके लिए दिए जाने वाले वैक्सीन का प्रभाव घटकर 66 प्रतिशत हो गया है जो कि पहले करीब 91 प्रतिशत प्रभावशाली था।
उस अध्ययन के बाद रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों का कहना है कि कोविड-19 की डेल्टा वैरीअंट का अमेरिका में प्रभाव बढ़ने के कारण उसके लिए दिए जा रहे वैक्सीन की प्रभावशीलता में काफी गिरावट आई है। बीते सोमवार को प्रकाशित किए गए यूएस सीडीसी के अध्ययन के अनुसार यह सुझाव पेश किया गया कि अमेरिका देश में अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता यानी डॉक्टर और वैज्ञानिकों के बीच डेल्टा वेरिएंट के मामले बढ़ने के बाद उसके लिए दिए जा रहे टीके की प्रभावशीलता 91 प्रतिशत से घटकर करीब 66 प्रतिशत तक आ गई है।
अध्ययन में क्या बात है सामने आयी।
हालांकि अध्ययन के दौरान 80% टीके का प्रभाव संक्रमण को रोकने के लिए साबित हुआ है। इस अध्ययन की अवधि या समय 14 दिसंबर 2020 से 2021 के 14 अगस्त तक की थी जिसमें अमेरिका के 6 राज्यों में अलग-अलग जगहों के फ्रंटलाइन कार्यकर्ता स्वास्थ्य कर्मी और अन्य स्वास्थ्य से जुड़े लोगों में करीब 4217 लोगों को इस अध्ययन के लिए शामिल किया गया था।
उन सभी लोगों का साप्ताहिक तौर पर आरटी पीसीआर की मदद से कोरोना संक्रमण का परीक्षण किया जाता था। आपको बता दें कि करीब 83 प्रतिशत अमेरिका के लोगों को मॉडर्ना एमआरएन, फाइजर बायोएनटेक और जॉनसन एंड जॉनसन के टीके लगाए गए थे।
वहीं सीडीसी का कहना है कि इस अध्ययन के परिणामों को सावधानी से देखा जाए क्योंकि टीके का प्रभाव समय के साथ कम होता नजर आ रहा है। सीडीसी ने यह भी बताया कि शामिल किए गए लोगों के बीच संक्रमण होने के कारण और अध्ययन की सीमित समय के कारण परिणाम का सही अनुमान नहीं हो सका है।
सीडीसी द्वारा जारी किए गए रिपोर्ट में कहा गया कि वैक्सीन प्रभावशीलता के अध्ययनों को ध्यान में रखते हुए उसके साथ कुछ भ्रम भी मौजूद हो सकते हैं इसलिए कोहोर्ट की मदद से कोरोना सक्रिय मामलों और वैक्सीन की प्रभावशीलता के परिणामों पर नजर रखी जा रही है।
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यूएस सीडीसी के निदेशक डॉ रोशेल वालेंस्की ने क्या कहा।
यूएस सीडीसी के निदेशक डॉ रोशेल वालेंस्की ने पिछले सप्ताह यह पुष्टि की थी कि डेल्टा संस्करण के लिए दिए जा रहे कोविड-19 के टीके का प्रभाव धीरे धीरे कम हो गया है और अब बूस्टर शॉट टीके का इस्तेमाल करना जरूरी है।
वालेंस्की ने अमेरिका के एक नर्सिंग होम के अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि वहां डेल्टा वैरीअंट पर टीके का प्रभाव काफी घट गया था। उन्होंने इजराइल के एक अध्ययन के बारे में बताते हुए कहा कि वहां टीका लेने वाले लोगों में कुछ गंभीर बीमारियों का खतरा देखा गया था। वहीं ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अध्ययन के अनुसार ऑक्सफोर्ड एस्ट्रा जेनेका और फाइजर बायोएनटेक का प्रभाव और क्षमता समय के साथ डेल्टा वेरियंट के खिलाफ कम होता गया।
आपको बता दें कि फाइजर टीके का प्रभाव करीब 92 प्रतिशत था लेकिन इसकी दूसरी खुराक लेने की 90 दिनों बाद प्रभाव घटकर 78 प्रतिशत हो गया। वहीं एस्ट्रा जेनेका की खुराक लेने की 90 दिनों बाद इसका प्रभाव 69 से घटकर 61 प्रतिशत तक पहुंच गया। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की सारा वॉकर ने इस अध्ययन का नेतृत्व किया था और उन्होंने कहा कि यह दोनों ही टीके डेल्टा के खिलाफ काफी अच्छा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कोविड-19 खिलाफ लड़ने के लिए यह उसे रोकने के लिए पूर्ण टीकाकरण ही सबसे अच्छा रास्ता है।