Third Wave:- कोविड-19 के तीसरे लहर में नहीं होगी आक्सीजन की कमी, एम्स-रायपुर ने किया पीएसए ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना
कोरोना एक गंभीर बीमारी के रूप में सामने आया है, जो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। आए दिन कोरोना से संक्रमित मामले आते ही रहते हैं। इसके रोकथाम के लिए कई नए- नए तकनीकों का शोध तथा दवाइयों का निरीक्षण किया जा रहा है, जिससे कि इस समस्या को जल्द से जल्द मिटाया जा सके। इस गंभीर परिस्थिति में डॉक्टर और शोधकर्ता सभी जागरूक हैं, उन्होंने अब तक कई ऐसी तकनीकों का खोज किया है जो कोरोना के प्रभाव को कुछ हद तक कम करने में सहायक थे।
अब सुनने में आ रहा है कि कोविड की पहली और दूसरी लहर समाप्त होने के बाद तीसरी लहर आने वाली है ,जो सबके मन में डर पैदा कर रही है। कोविड-19 की तीसरी लहर विशेषकर बच्चों के लिए नुकसानकारी माना जा रहा है। ऐसे में प्रशासन सहित सभी लोग अलर्ट हैं और जल्द से जल्द कोई ऐसा कारगर इलाज निकालना चाहते हैं जिससे कि अधिक से अधिक बच्चों और वयस्कों को संक्रमित होने से बचाया जा सके।
जैसा कि देखा जा रहा था कि कोविड-19 के दौर में खासकर ऑक्सीजन की कमी हो रही थी। ऐसे में शोधकर्ताओं ने कोविड-19 की तीसरी लहर Third Wave में ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था के लिए एक बड़ा प्लांट स्थापित किया है, जिससे कि उस गंभीर स्थिति में ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सके।
जानकारी मिली है कि ऐम्स एक ऑक्सीजन प्लांट लगाने की व्यवस्था कर रहा है जो भविष्य में कोविड-19 के खिलाफ एक मजबूत स्तंभ का कार्य करेगी। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान AIIMS एक संस्थान है जो शोध कार्य करती है। AIIMS द्वारा लगाया जाने वाला यह ऑक्सीजन प्लांट रायपुर PCA यानी कि रायपुर प्रेशर स्विंग सोखना तकनीक के आधार पर तैयार किया गया है, जिसका लक्ष्य कोविड-19 से निपटना है।
PSA एक ऐसी तकनीक है जो ऑक्सीजन को परवेशी वायु से अलग करेगी, जिससे आवश्यक मात्रा में शुद्ध ऑक्सीजन की उपलब्धता होगी। बताया गया है कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) तथा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की सहायता से इस PSA संयंत्र को स्थापित किया जा रहा है।
एम्स प्रशासन ने कहा कि उन्होंने इस नई तकनीक की खोज विशेषकर कोविड-19 की तीसरी लहर को ध्यान में रखकर किया है। उनका मानना है कि तीसरी लहर में ऑक्सीजन की आपातकालीन जरूरतों को पूरा करने में यह नई सुविधा बहुत ही कारगर और सक्षम होगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 के पहले और दूसरे दौर में जिस प्रकार ऑक्सीजन की किल्लत देखी गई है उसे पुनः दोहराया नहीं जाएगा। ऐसे में इसकी पहले से ही तैयारी करनी आवश्यक है।
एम्स ने बताया कि यह नया प्लांट राज्य का सबसे बड़ा PCA प्लांट में से एक है, जो हवा से ऑक्सीजन को अवशोषित करेगा तथा ऑक्सीजन आपूर्ति पाइप के मौजूदा नेटवर्क के जरिए इसे विभिन्न कमरों तक पहुंचाएगा। एम्स में अब गंभीर रूप से बीमार 155 वेंटीलेटर हैं जिनमें से सभी वेंटीलेटर अलग-अलग आईसीयू में लगाए गए हैं।
एम्स में पहले से ही अपना समर्पित ऑक्सीजन प्लांट है जो 30,000 लीटर प्रति मिनट की क्षमता वाला है। यह विभिन्न कमरों में ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है। इसके साथ ही वहां ऑक्सीजन की आपूर्ति का दूसरा स्रोत के रूप में 98 सिलेंडर बैंक है। इसके अलावा वहां कोविड मरीज और गैर-कोविड मरीजों के लिए विभिन्न आईसीयू में 30 हाई-एंड वेंटिलेटर स्थापित कर उनका इस्तेमाल करने की भी शुरुआत भी कर दी गई है।
एम्स के निर्देशक डॉ नितिन एम नागरकर ने कहा कि, एम्स-आर ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लगभग 5,000 लीटर प्रति मिनट की क्षमता वाले ऑक्सीजन संयंत्र का इस्तेमाल किया। जिसे बहुत कम समय में ही मिशन मोड में स्थापित किया गया था। ऐसे में एम्स ने पीएम केयर्स फंड की सहायता से कैंपस में एक और नया PCA प्लांट लगा लिया है, जिससे कि वहां ऑक्सीजन की कभी कमी ना हो।
डॉ नितिन का मानना है इस बार तीसरी लहर Third Wave के दौरान कोरोना के संक्रमित मरीजों को कोरोना से लड़ने में इस नई तकनीक से सुविधा मिलेगी क्योंकि यह संयंत्र ऑक्सीजन पैदा करने वाले अन्य संयंत्र की मौजूदा क्षमता से कहीं अधिक प्रभावशाली भी होगा।