Moderna Vaccine:- मॉडर्ना वैक्सीन को मिली मंजूरी, 12 से 17 साल के बच्चे होंगे वैक्सीनेटेडे
कोरोना की रफ्तार लगातार तीव्र गति से बढ़ रही है, ऐसे में यदि वैक्सीनेशन की प्रक्रिया जल्द से जल्द प्रत्येक व्यक्ति तक नहीं पहुंचाई गई, तो इससे गंभीर स्थिति देखने को मिल सकती है। वैक्सीनेशन की प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप कोरोना पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है परंतु कोरोना की रफ्तार में धीमी देखी जा रही है। कोरोना से लड़ने के लिए 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए वैक्सीनेशन की प्रक्रिया चलाई जा रही है तथा पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन भी तैयार किए जा रहे है।
किंतु 18 साल से कम के बच्चों के लिए अब तक वैक्सीन की कोई व्यवस्था नहीं थी। वैज्ञानिक और शोधकर्ता लगातार 18 साल से नीचे के बच्चों के लिए वैक्सीन तैयार करने में लगे थे।
ऐसे में जानकारी मिली की यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी ने 12 साल से 17 साल के बच्चों के लिए एक वैक्सीन तैयार कर लिया है, जिसे मॉडर्ना वैक्सीन नाम दिया गया है। यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी ने इस मॉडर्ना वैक्सीन को बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए पूरी तरह से सुरक्षित मानकर मंजूरी भी दे दी है।
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अब कोरोना वैक्सीन 18 साल से कम के बच्चों को भी लगाया जाएगा। यूरोपीय संघ के ड्रग रेगुलेटर ने कहा कि इस मॉडर्ना वैक्सीन को 3,732 बच्चों पर जांच करके देखा जा जा चुका है।परीक्षण से पता चला कि मॉडर्ना वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडी रिस्पांस पैदा करती है तथा इससे होने वाले प्रभावों को ध्यान में रखकर मॉडर्ना कोविड-19 वैक्सीन को अनुमति मिल गई है।
लेकिन
अब तक वैक्सीनेशन की प्रक्रिया 18 साल से ऊपर के बच्चों के लिए ही चलाए जा रही थी। लेकिन अब से यह प्रक्रिया 12 साल से 17 साल तक के बच्चों को भी उपलब्ध करवाई जाएगी। ड्रग रेग्यूलेटर का मानना है कि जिस प्रकार 18 साल से 25 साल के युवाओं में कोविड वैक्सीन लेने के पश्चात एंटीबॉडीज देखी जाती थी उसी प्रकार बच्चों में भी मॉडर्ना वैक्सीन के उपरांत एंटीबॉडीज पाई जा रही है।
सूचना मिली है कि मॉडर्ना का स्पाइकवैक्स वैक्सीन 2,163 बच्चों दिया भी जा चुका है जिसके पश्चात उनमें से कोई भी बच्चा कोरोना संक्रमित नहीं हुआ। ऐसे में EMA ने बताया कि कोरोना के खिलाफ मॉडर्ना वैक्सीन बड़ों के लिए बनाई गई वैक्सीन के सामान ही काफी प्रभावशाली है।
मॉडर्ना वैक्सीन से बच्चों में कोई दुष्प्रभाव नहीं देखा जायेगा बल्कि जिस प्रकार 18 साल से ऊपर के लोगों को वैक्सीन देने के पश्चात कुछ साधारण लक्षण देखे जाते थे उसी प्रकार बच्चों में भी वैक्सीन के पश्चात हल्का-सा दर्द, सूजन, सिर दर्द, उल्टी और बुखार जैसी आम-सी समस्याएं देखी जा सकती है। यह समस्या कुछ ही दिनों के लिए होंगी। इस प्रकार मॉडर्ना वैक्सीन को लाभकारी बताया जा रहा है।
एम्स (AIIMS) के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने बताया कि भारत में भी बच्चों के वैक्सीन के लिए परिक्षण किया जा रहा है। आशा है कि सितंबर तक भारत में भी बच्चों के लिए वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी।
मॉडर्ना वैक्सीन की लाखों डोज यूरोप में वयस्कों को लगाया जा चुका है। ऐसे में कंपनी का मानना है कि बच्चों के लिए मॉडर्ना की दो डोज पूर्णतः सुरक्षित है। लेकिन अभी तक अमेरिका द्वारा पूरी तरह से मंजूरी नहीं मिली कि मॉडर्ना वैक्सीन को 18 साल से कम बच्चों को लगाया जाए या नहीं।
मॉडर्ना वैक्सीन के तैयार होने से पहले बच्चों को कोरोना संक्रमित होने पर Pfizer और BioNTech वैक्सीन लगाए जा रहे थे। ऐसे में अब मॉडर्ना वैक्सीन पर भी विचार हो रहा है।
बड़ी आबादी के लिए कोरोना वैक्सीन की सप्लाई भी कम पड़ रही है और कई देश वैक्सीनेशन के लिए बहुत ही परेशानियों का सामना कर रहे है। ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि “बड़े-बड़े देशों का यह कर्तव्य बनता है कि वह अपने से छोटे और गरीब देशों को वैक्सीन मुफ्त में प्रदान करें।”