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Malaria in Children: बच्चों में मलेरिया किस प्रकार फैलता हैं – जानिए मलेरिया के लक्षण, बचाव व उपचार ? | How malaria spreads in children – know the symptoms, prevention and best treatment of malaria in Hindi

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Malaria in Children in Hindi Table Of Content :-

Malaria in Children: बच्चों में मलेरिया किस प्रकार फैलता हैं – जानिए मलेरिया के लक्षण, बचाव व उपचार ?

बचपन में बच्चों को बहुत सी बीमारियां अपना शिकार बना लेती है ज्यादातर बच्चों को तो बीमारियां जन्म लेने के 2 महीने बाद ही अपना शिकार बनाती है। क्योंकि 2 महीने तक तो बच्चे के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी मजबूत रहती है क्योंकि जब बच्चा माता के गर्भ में होता है तो माता के द्वारा खाए जाने वाला भोजन बच्चे को मजबूत बना कर रखता हैं, लेकिन जब उसका जन्म हो जाता है तो 2 महीने के पश्चात उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है जिसकी वजह से उसे अलग-अलग प्रकार की बीमारियां अपना शिकार बना लेती हैं इन्हीं बीमारियों में से एक बीमारी है मलेरिया की बीमारी, आपने अक्सर बड़े लोगों में भी यह बीमारी होते हुए देखा ही होगा।

हम आपको बता दें कि यह बीमारी बच्चों को भी आसानी से हो सकती है बच्चे तो बल्कि इस बीमारी का ज्यादा शिकार होते हैं, क्योंकि वह मच्छर से बचने के लिए अपने हाथ पैर भी नहीं ला सकते या फिर पूरी तरह कपड़े भी नहीं पहन सकतें। यदि उनकी माता की उनका ख्याल रखेगी तो तभी वह अपना ख्याल रख पाएंगे इसीलिए छोटे बच्चों को भी काफी जल्दी मलेरिया की बीमारी हो जाती है,  बच्चों को काफी जल्दी गंभीर रूप से भी मलेरिया हो जाता है

इसीलिए बच्चे को मलेरिया से बचाने के लिए हम बहुत से तरीके अपना सकते हैं। आज हम इस पोस्ट के माध्यम से मलेरिया की बीमारी के बारे में ही विस्तार से जानेंगे कि Malaria Ke Karan In Hindi तथा Malaria Ke Lakshan In Hindi इसी के साथ साथ हम आपको Treatment Of Malaria In Hindi तथा Bacho Ko Malaria Se Kaise Bachaye इसके बारे में भी हम आपको बताएंगे।

Malaria in Children

 मलेरिया क्या होता है – What Is Malaria In Hindi ?

मलेरिया एक ऐसी बीमारी होती है जो मादा मच्छर के काटने से फैलती हैं, मलेरिया एक संक्रामक रोग है जो कि बच्चों से लेकर बड़ों तक फैलता हैं। यह रोग उन लोगों को काफी ज्यादा प्रभावित करता है जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत ही ज्यादा कमजोर होती हैं। यह बीमारी एनोफेलीज मच्छर ( Anopheles Mosquito ) मच्छर के काटने से फैलता है मलेरिया फैलाने वाले मच्छर अक्सर गंदगी में जमा होते हैं। यदि आपके घर के आसपास पानी इकट्ठा हो जाता है या फिर बरसात के मौसम में घर के आसपास पानी इकट्ठा हो जाता है तो उसके कारण भी मलेरिया फैलने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता हैं, अक्सर बरसात के मौसम में मलेरिया की बीमारी से काफी ज्यादा लोग प्रभावित होना शुरू हो जाते हैं, क्योंकि बरसात में हर जगह पानी इकट्ठा हो जाता हैं।

बच्चों में मलेरिया के क्या लक्षण होते हैं – Symptoms of Malaria in Children’s In Hindi ?

जब बच्चे मलेरिया की बीमारी से संक्रमित होते हैं, तो बच्चों में बहुत से लक्षण दिखाई दे सकते हैं जैसे कि :-

  • बच्चों को मलेरिया हो जाने के पश्चात बच्चों को काफी तेज बुखार रहता है और यह बुखार ऐसा होता है कि अगर आप इस बुखार को सही करने की दवाई भी बच्चे को देंगे तो यह 3 से 4 घंटे के लिए सही रहेगा और उसके पश्चात फिर से बच्चे को प्रभावित करना शुरू कर देगा, क्योंकि मलेरिया का बुखार आम दवाइयों से सही नहीं होता इसके लिए सिर्फ मलेरिया की ही दवाइयां खानी पड़ती हैं।
  • मलेरिया हो जाने पर बच्चे काफी ज्यादा चिड़चिड़ा हो जाते हैं, वह ना तो खेलने में अपनी रुचि दिखाते और ना ही आपकी बातों का कोई जवाब देते वह गुमसुम से पड़े रहते हैं, क्योंकि मलेरिया होने पर बच्चों का पूरा शरीर प्रभावित होता हैं।
  • मलेरिया होने पर बच्चों को काफी ज्यादा टांगों में दर्द रहता हैं। खास तौर पर घुटनों से नीचे बच्चों को बहुत ज्यादा दर्द होता है और इसी के कारण आपके बच्चे रोते भी हैं। अगर आपका बच्चा 2 से 5 साल की उम्र का है तो वह आपको अपना दर्द जाहिर भी कर सकता हैं।
  • मलेरिया होने पर बच्चों का काफी ज्यादा सिर दर्द रहता है और उन्हें थोड़े-थोड़े चक्कर आने की संभावना भी होती हैं, क्योंकि बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली मलेरिया की बीमारी से लड़ने की तो पूरी कोशिश करती है लेकिन वह जल्दी ही हार मान जाती हैं।
  • मलेरिया होने पर बच्चों को बहुत ज्यादा ठंड लगती हैं, अगर बहुत ज्यादा गर्मियों का मौसम भी है फिर भी उन्हें सर्दी का एहसास होगा और उनका शरीर पंखे की हवा को भी बर्दाश्त नहीं कर पाएगा उन्हें मलेरिया होने पर बहुत ही ज्यादा कब कभी महसूस होती हैं।
  • मलेरिया होने पर रात के समय बच्चे को काफी ज्यादा बेचैनी रहती है जिसकी वजह से उसे नींद भी नहीं आ पाती, क्योंकि मलेरिया में बच्चे का पूरा शरीर दर्द करता है जिसकी वजह से बच्चा अच्छे से सो भी नहीं पाता।
  • मलेरिया होने पर आपके बच्चे को बिल्कुल भी भूख नहीं लगती और यदि आप उसे खाना खिलाने की कोशिश भी करेंगे तो वह खाना नहीं खाएगा, क्योंकि मलेरिया होने पर बच्चे का मन कुछ भी खाने पीने का नहीं करता क्योंकि उसकी भूख भी मर जाती हैं।
  • मलेरिया से प्रभावित होने पर आपके बच्चों को दस्त भी लग सकते हैं जिसकी वजह से उनका पेट भी काफी ज्यादा दर्द हो सकता है और इसी के साथ-साथ बच्चों को काफी ज्यादा उल्टी हो सकती हैं। मलेरिया की बीमारी में अगर आप अपने बच्चों को खाना खिला भी देती हैं तो भी उसका उल्टी जैसा मन होता है और वह उल्टी कर सकता हैं।
  • मलेरिया होने पर आपका बच्चा काफी ज्यादा तेज तेज सबसे लेता हैं, क्योंकि मलेरिया की बीमारी से बच्चे का श्वसन तंत्र भी धीरे-धीरे प्रभावित होने लगता है इसीलिए बच्चा काफी तेज से सांसे लेता हैं।
  • मलेरिया से प्रभावित होने पर आपके बच्चे काफी ज्यादा कमजोरी महसूस करते हैं जिसके कारण वह अच्छे से चलते फिरते ही नहीं हैं, क्योंकि उनका पूरा शरीर ही दर्द कर रहा होता है इसी के चलते आपके बच्चे काफी ज्यादा सुस्त भी हो जाएंगे।

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बच्चों में मलेरिया होने का कारण – Causes of Malaria in Children’s In Hindi ?

  • मलेरिया प्लाज़्मोडियम ( Malaria Plasmodium ) नामक परजीवी (Parasite) के कारण होता है। मलेरिया परजीवी मादा एनोफेलीज मच्छर (Anopheles Mosquito) के काटने से शरीर में प्रवेश करता है। मादा एनोफेलीज मच्छर ( Anopheles Mosquito ) जब मलेरिया से ग्रसित व्यक्ति के खून को चूसता है, तो वह प्लाज्मोडियम परजीवी ( plasmodium parasite ) अपने अंदर ले लेता है। इसके पश्चात जब यही मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह प्लाज्मोडियम ( plasmodium ) से स्वस्थ व्यक्ति के रक्त को संक्रमित कर देता है। इस तरह से मलेरिया की बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलती है।
  • प्लोज्मोडियम परजीवी ( plasmodium parasite ) शरीर में प्रवेश करने के बाद यह सीधे आपके लीवर ( Liver ) में पहुंच जाता है और लीवर में यह तेजी से अपनी संख्या में बढ़ावा कर लेता है। यह परजीवी बच्चों के शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने वाली रक्त की कोशिकाओं ( blood cells ) को नष्ट करने का काम करते हैं। इसके लिए परजीवी ( parasites ) इन कोशिकाओं के अंदर चले जाते हैं और इनमें अंडे देकर अपनी संख्या को तब तक बढ़ाते हैं जब तक लाल रक्त कोशिकाएं ( Red blood cell ) नष्ट न हो जाएं।
  • यह परजीवी तेजी से रक्त में फैलकर स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं ( healthy red blood cells ) को नष्ट करते हैं, जिससे आप बीमार महसूस करने लगते हैं।

नीचे व्यक्तियों को प्रभावित करने वाली प्लोज्मोडियम परजीवी ( plasmodium parasite ) की पांच अन्य प्रजातियों के बारे में बताया जा रहा है। इन प्रजातियों से संक्रमित होने पर लक्षणों को सामने आने में अलग-अलग समय लगता है।

1. प्लोज्मोडियम फैलसीपारम (plasmodium falciparum)

इस प्रकार की मलेरिया की बीमारी मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय (topical) और उप उष्णकटिबंधीय (sub-topical) इलाकों में पाई जाती है। मलेरिया का यह प्रकार मलेरिया के गंभीर मामलों से संबंध रखता है। इसके लक्षण तकरीबन 9 से 14 दिनों के बाद सामने आते हैं।

2. प्लोज्मोडियम विवैक्स (Plasmodium vivax)

मलेरिया का यह प्रकार मुख्य रूप से एशिया और अमेरिका में पाया जाता है। इसके लक्षण प्लोज्मोडियम फैलसीपारम ( plasmodium falciparum ) की अपेक्षा कम होते हैं। इस प्रकार के परजीवी एक साल तक निष्क्रिय अवस्था में जीवित रह सकते है, जो बच्चों तथा बड़ो को ठीक होने के पश्चात फिर से बीमार करने का कारण बनाता है। इस परजीवी ( Parasites ) के लक्षण तकरीबन 12 से 18 दिनों में सामने आते हैं, जबकि इसी के ही कुछ अन्य प्रकार के बैक्टीरिया के लक्षण 8 से 10 महीने या फिर इससे ज्यादा समय के बाद भी दिखाई दे सकते हैं।

3. प्लोज्मोडियम ओवेल (Plasmodium ovale)

यह परजीवी ( Parasites ) बेहद दुलर्भ होते हैं, जो मुख्य तौर पर प्रशांत द्वीप तथा पश्चिमी अफ्रीका में पाये जाते हैं। इस परजीवी से संक्रमित होनें के बाद रोगी के लक्षण करीब 12 से 18 दिनों के बाद सामने आते हैं।

4. प्लोज्मोडियम मलेरिया (Plasmodium malaria)

यह परजीवी ( parasite ) भी दुर्लभ होते हैं और यह पश्चिमी अफ्रिका में मिलते हैं। इस प्रकार का मलेरिया दीर्घकालिक  संक्रमण का कारण बनते हैं। प्लोज्मोडियम मलेरिया  ( plasmodium Malaria ) से संक्रमित होने के बाद मरीज को करीब 18 से 40 दिनों के पश्चात इसके लक्षण महसूस होते हैं।

5. प्लोज्मोडियम नोलिसी (Plasmodium knowlesi)

इस परजीवी ( parasite ) की हाल ही में खोज की गई है। यह प्रजाति दुर्लभ होती है और यह दक्षिणी एशिया में भी पाई जाती है।  रोगी को इस बीमारी के लक्षण लगभग 9 से 12 दिनों बाद अनुभव होते हैं और तभी इनका इलाज करना आवश्यक होता है।

 मच्छर के काटने के अतिरिक्त भी बच्चों में मलेरिया फैलने के और बहुत से कारण हो सकते हैं। जैसे कि :-

  • अगर बच्चे को किसी मलेरिया से संक्रमित संक्रमित व्यक्ति का रक्त चढ़ाया जाए, तो उस के माध्यम से भी बच्चा मलेरिया से संक्रमित हो सकता हैं।
  • अगर डॉक्टर मलेरिया से संक्रमित व्यक्ति का इंजेक्शन फिर से किसी दूसरे व्यक्ति या बच्चे के ऊपर इस्तेमाल करता है तो इस प्रकार भी  यह बीमारी फैलती हैं।
  • अगर गर्भावस्था के समय  किसी महिला को मलेरिया हो जाता हैं, तो उसके कारण  उसके बच्चे को जन्म के साथ ही मलेरिया  हो सकता हैं।

बच्चों को मलेरिया से कैसे बचाएं – How To Prevent Children’s From Malaria Disease In Hindi ?

अगर आप अपने बच्चे को मलेरिया से बचाना चाहते हैं, तो आ मलेरिया होने से बचा सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको कुछ बातों का ख्याल रखना होगा जैसे कि :-

घर के पास पानी इकट्ठा ना होने दें

अगर आपके घर के आसपास पानी इकट्ठा हो रहा है या फिर बरसात के मौसम में आपके घर के आसपास पानी इकट्ठा हो जाता है तो आप उस पानी को इकट्ठा ना होने दें। क्योंकि रुके हुए पानी में मलेरिया फैलाने वाले कीटाणु तेजी से पनपते हैं जो कि आसानी से लोगों को संक्रमित करते हैं इसीलिए घर के आस-पास कभी भी पानी इकट्ठा ना होने दें।

बच्चों को पूरे कपड़े पहनाए

अगर आपके बच्चे 3 से 5 साल की उम्र के हैं और वह घर से बाहर खेलने जाते हैं तो शाम के वक्त उन्हें पूरी बाजू के कपड़े पहनाए और टांगों में भी पैंट पहना कर भेजें ताकि मच्छर काटने की संभावनाएं कम हो जाए। यदि आपका बच्चा आधे कपड़ों में बाहर खेलता है तो फिर उसे मच्छर आसानी से काट लेते हैं इसीलिए इस बात का ख्याल रखें।

मच्छरदानी का इस्तेमाल करें

आपको अपने बच्चों की अच्छी सुरक्षा के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि मच्छरदानी मच्छर से बच्चों को बचाने के लिए काफी अच्छी होती हैं, इसीलिए आप अपने बच्चों को मच्छरदानी के अंदर सुलाइए इस प्रकार आपके बच्चे मलेरिया की बीमारी से आसानी से बच जाएंगे।

मच्छर मारने की दवाई का छिड़काव करें

आपको अपने घर में मच्छरों को मारने के लिए दवाई का छिड़काव करना चाहिए क्योंकि गर्मियों के मौसम में तो घर में काफी ज्यादा मच्छर हो जाते हैं। खासतौर पर बरसात के मौसम में तो मच्छरों की वजह से सभी लोग परेशान रहते हैं, इसलिए आपको अपने घर में सुबह और शाम मच्छर मारने की दवाई का छिड़काव करना चाहिए। इसके अतिरिक्त जिस घर में छोटे बच्चे होते हैं तो उन्हें हमेशा ही ऑल आउट लगाकर रखनी चाहिए ताकि मच्छरों का खतरा कम हो जाएं।

नीम के पत्तों को जलाएं

आपको अपने घर में नीम के पत्तों को जलाना चाहिए। अगर आप नीम के सूखे हुए पत्तों को अपने घर में जलाते हैं तो हम आपको बता दें कि इसकी वजह से आपके घर में मौजूद खतरनाक से खतरनाक मच्छर भी आसानी से मर जाता है क्योंकि नीम की पत्तियों में मच्छरों को मारने के लिए काफी जहर मौजूद होता हैं, जो कि आसानी से मच्छरों को मार देता है इसलिए सुबह शाम घर में नीम की पत्तियों को जलाएं।

घर की रसोई या बाथरूम को साफ रखें

बरसात के मौसम में घर में रसोई में तथा बाथरूम में काफी ज्यादा मच्छर पनप जाते हैं क्योंकि वहां पर हमेशा ही पानी गिरता रहता हैं। इसलिए आपको बाथरूम में कभी भी पानी भरकर नहीं रखना चाहिए या फिर रसोई में मच्छर मारने की दवाई का छिड़काव करते रहना चाहिए। इस प्रकार आपका घर मच्छरों से सुरक्षित रहता हैं।

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कूलर का पानी हर 3 दिन में बदलें

यदि आप अपने घर में गर्मियों के मौसम में कूलर का इस्तेमाल करते हैं अपने घर के कूलर को पूरी तरह से साफ करना चाहिए। आपको अपने कूलर का पानी हर 2 से 3 दिन में बदलते रहना चाहिए, क्योंकि कूलर के पानी में बहुत ज्यादा मच्छर इकट्ठा हो जाते हैं, जो कि आपके बच्चों को भी नुकसान पहुंचाते हैं इसीलिए घर में कूलर को पूरी तरह साफ सुथरा रखें।

बच्चों में मलेरिया की जांच कैसे की जाती हैं – Diagnosis Of Malaria Disease In Children’s In Hindi ?

  • बच्चों के शरीर में मलेरिया बीमारी के लक्षण दिखने पर आपको अपने बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाना होता हैं ताकि मलेरिया की बीमारी का पता लगाया जा सकें। मलेरिया की बीमारी की जांच के लिए डॉक्टर बच्चे के खून का नमूना भी ले सकता हैं। खून के नमूने से मलेरिया की बीमारी की जांच की जा सकती हैं, क्योंकि मलेरिया से प्रभावित होने पर बच्चों के खून में वायरस तुरंत ही दिख जाता है जिसकी वजह से मलेरिया की बीमारी का पता चल जाता हैं।
  • वैसे तो डॉक्टर के द्वारा बच्चे की परिस्थिति देखकर ही इस बात का जायजा लगाया जा सकता है कि बच्चों को मलेरिया हो चुका हैं, क्योंकि बहुत से ऐसे लक्षण होते हैं जो कि मलेरिया में ही बच्चों कैसे दिखाई देते हैं मलेरिया होने पर डॉक्टर आसानी से मलेरिया का पता लगा लेता हैं।

बच्चों में मलेरिया का इलाज – Treatment Of Malaria Disease In Hindi ?

  • अगर बच्चों को मलेरिया हो जाता है तो 1 से 2 दिन तो डॉक्टर सामान्य दवाई देता हैं, अगर सामान्य दवाई खाकर बच्चा ठीक हो जाता है तो अच्छी बात है अन्यथा बच्चे की जांच भी की जाती है जांच के दौरान मलेरिया का पता लगाया जाता हैं। यदि बच्चों को मलेरिया हुआ हैं, तो फिर बच्चों को मलेरिया से बचाने के लिए डॉक्टर के द्वारा कुछ पीने वाली दवाइयां भी दी जाती हैं जो कि बच्चे को पिलानी पढ़ती हैं।
  • वैसे तो डॉक्टर के द्वारा ज्यादातर बच्चों को पीने वाली ही दवाइयां दी जाती हैं, क्योंकि पीने की दवाइयां बच्चे आसानी से पी लेते हैं और वे उनके शरीर पर ज्यादा असर करती हैं। इसके अतिरिक्त मलेरिया से बचाने के लिए बच्चों को इंजेक्शन भी लगाया जा सकता है जिससे कि मलेरिया के लक्षणों को कम किया जाएगा अगर डॉक्टर बच्चों को खाने की दवाइयां देता हैं, तो बहुत ही कम देता है जो कि उसको दूध या किसी खाने की चीज में मिलाकर खिलानी होती है अगर बच्चा बड़ा है फिर तो वह आमतौर पर भी दवाइयां खा सकता हैं, लेकिन छोटे बच्चों का दवाइयों के प्रति काफी ख्याल रखना पड़ता है इसीलिए डॉक्टर सोच समझकर ही दवाई देता है।

Conclusion –

बच्चों में मलेरिया बीमारी किस प्रकार फैलती है और मलेरिया बीमारी से बच्चे किस प्रकार प्रभावित होते हैं तथा मलेरिया की बीमारी से बच्चे का किस प्रकार बचाव किया जा सकता है इन सब के बारे में हमने आपको विस्तार से बता दिया है ताकि आप आसानी से अपने बच्चे को इस बीमारी से बचा सकें। इसके अतिरिक्त आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने Causes Of Malaria Disease In Children’s In Hindi तथा Symptoms Of Malaria Disease In Children’s In Hindi  के बारे में बताया हैं।

 इसी के साथ-साथ हमने आपको Treatment Of Malaria In Hindi तथा Bacho Ko Malaria Se Kaise Bachaye इसके बारे में भी बता दिया है ताकि आप आसानी से अपने बच्चों को मलेरिया की बीमारी से बचा सकें। अब यदि आपको हमसे Malaria Ka ilaz In Hindi के बारे में कोई भी सवाल पूछना हों तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करें। धन्यवाद

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