Genome Sequencing: जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए दिल्ली सरकार द्वारा भेजे गए नमूनों में 80 फ़ीसदी में डेल्टा वैरीअंट मिले, जानें खबरें
देश और दुनिया भर में कोरोना महामारी अपना प्रभाव जारी रखे हुए हैं। ना केवल कोरोना वायरस बल्कि इसके नए-नए वेरिएंट्स भी अपना रूप और प्रभाव दिखा रहे हैं जिसके कारण दुनिया भर में कोरोना की नई रूप चिंता का विषय बन गए हैं। वही हमारे देश के कई जगहों पर तरह तरह से इस कोरोनावायरस का पता लगाया जा रहा है जिसमें से एक तरीका जिनोम सीक्वेंसिंग भी है जिसके जरिए डेल्टा वेरिएंट्स के बारे में पता लगाया जा रहा है।
जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए 83.3 फ़ीसदी नमूनों में जुलाई में मिला डेल्टा वेरियन। वही जून में 88.6 फ़ीसदी और मई में एकादशी 81.7 फ़ीसदी नमूनों में पाया गया था डेल्टा वेरिएंट।
देश और दुनिया भर में कोरोना वायरस अपना प्रभाव अलग-अलग वेरिएंट्सके जरिए जारी रखे हुए हैं वही सभी वेरिएंट्स में डेल्टा वैरीअंट को सबसे ज्यादा खतरनाक और जल्दी फैलने वाला वेरिएंट कहा जा रहा है। देशभर में एक समय के अंतराल में जिनोम सीक्वेंसिंग के जरिए लोगों के नमूने को लैब में टेस्ट कर डेल्टा वेरिएंट्स का पता लगाया जा रहा है।
बीते 3 महीनों में दिल्ली सरकार ने जिनोम सीक्वेंसिंग के जरिए लिए गए नमूनों में अधिकतर कोरोना से पीड़ित लोगों में ही डेल्टा वेरिएंट के नमूने पाए गए हैं। दिल्ली सरकार की जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक बीते 3 महीनों में 80 फ़ीसदी लोगों के नमूनों में जिनोम सीक्वेंसिंग के जरिए डेल्टा वेरिएंट्स पाया गया।
दिल्ली की आपदा प्रबंधन प्राधिकरण जो कोविड प्रबंधन नीतियां तैयार करने वाला राजधानी है, उसने एक बैठक के दौरान स्वास्थ्य विभाग को अपने आंकड़ों की जानकारी देते हुए बताया था कि दिल्ली शहर में जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए जुलाई में भेजे गए 83.3 फ़ीसदी लोगों के नमूनों में डेल्टा वेरिएंट्स का पता लगाया गया है।
वहीं दिल्ली सरकार ने यह भी जानकारी दी कि धीरे-धीरे डेल्टा वेरिएंट्स का प्रभाव बढ़ रहा है क्योंकि अप्रैल महीने में 53.9, मई के महीने में 81.7 और जून के महीने में 88.6 फ़ीसदी लोगों के सैंपल या नमूनों में डेल्टा वेरिएंट्स के अंश पाए गए थे।
वही एनसीडीसी यानि राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में 5 हजार 7 सौ 52 लोगों में से 1 हजार 6 सौ 90 नमूनों में डेल्टा वेरिएंट्स और 9 सौ 47 नमूनों में अल्फा वेरिएंट्स का पता लगाया गया है।
अल्फा और डेल्टा दोनों ही वेरिएंट्स को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा चिंताजनक बताया गया है। भारत में पहली बार डेल्टा वेरिएंट की पहचान 2020 के दिसंबर महीने में हुई थी और जिसके बाद करीब 95 देशों में इस वेरिएंट्स के बारे में पता लगाया गया।
हालांकि डेल्टा वैरीअंट को ही कोरोना की दूसरी लहर का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है क्योंकि डेल्टा वेरिएंट्स आने के बाद ही कोरोना की दूसरी लहर में करीब लाखों लोग कोरोना से संक्रमित हुए और इसकी वजह से हजारों लोगों की मृत्यु हुई। वहीं पिछले साल ब्रिटेन में अल्फा वेरिएंट्स की खोज हुई थी।
हालांकि बीते रविवार को 24 घंटों के अंतराल दिल्ली शहर में एक भी कोरोना मरीज की मृत्यु नहीं हुई। अब तक भारत की राजधानी दिल्ली में करीब 25 हजार 66 कोरोना मरीजों की मृत्यु हो चुकी है लेकिन वही खुशी की बात यह भी है कि बीते 1 हफ्ते में 3 दिन एक भी कोरोना मरीज की मृत्यु नहीं हुई। वही आपको बता दें कि 2 और 4 अगस्त को भी कोरोना से पीड़ित मरीजों की मृत्यु के एक भी आंकड़े सामने नहीं आए थे। बीते दिन राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस के 66 नए मामले पाए गए हैं।
वही आपको बता दें कि डेल्टा प्लस के मामलों में महाराष्ट्र की संख्या 21 से बढ़कर 45 हो गई है जिसमें औरत की संख्या 18 और आदमी की संख्या 27 है। वहीं महाराष्ट्र के राज्य स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने जानकारी देते हुए कहा कि वह कोरोना से पीड़ित मरीजों, उसकी बीमारी, उनके द्वारा लिए गए कोरोना का टीका और ट्रैकिंग की जानकारी को इकट्ठा कर रहे हैं इसलिए उन्होंने कहा कि चिंता वाली कोई बात नहीं है।