Covid-19 Vaccine News: वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद भी 25% स्वास्थ्य कर्मी हुए संक्रमित, जानें खबरें
करीब एक साल पहले आई खतरनाक और प्रभावशाली कोरोना वायरस जैसी महामारी ने देश और दुनिया भर में चिंता और डर का माहौल पैदा कर दिया था। इस कोरोना वायरस से लाखों करोड़ों लोग संक्रमित हुए और कई लोगों की जान इस वायरस की वजह से गई। कोरोना महामारी से बचने की इस लड़ाई में डॉक्टर, विशेषज्ञ और स्वास्थ्य कर्मियों ने आगे आकर लोगों की काफी मदद की है ताकि सभी लोग इस खतरनाक महामारी से आसानी से लड़ सकें।
खतरनाक और प्रभावशाली कोरोना महामारी से बचने के लिए डॉक्टरों, विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों की मदद से भारत के साथ-साथ कई देशों में कोरोना के खिलाफ लड़ने वाली वैक्सीन को तैयार किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस वैक्सीन की खुराक लेने के बाद लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी पावर बढ़ जाती है जिसके कारण कोरोना वायरस से लड़ा जा सकता है।
विशेषज्ञों की अनुमान के आधार पर यह वैक्सीन लेने की बात काफी हद तक सही साबित हुई है क्योंकि यह कोरोना के खिलाफ लड़ने वाली वैक्सीन को लेने के बाद कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या में कमी देखी गई थी। लेकिन अब दोबारा कोरोना की दूसरी लहर के बाद संक्रमित मामले बढ़ रहे हैं। दूसरी लहर में कई स्वास्थ्य कर्मी भी संक्रमित हो रहे हैं जिन्होंने वैक्सीन की दोनों खुराक ली थी।
आपको बता दें कि ना केवल कोरोना बल्कि इसके नए-नए वेरिएंट्स के कारण भी कई लोग संक्रमित हो रहे हैं और कोरोना की डेल्टा वेरिएंट, डेल्टा प्लस वेरिएंट जैसे कई खतरनाक संस्करण पर वैक्सीन ज्यादा प्रभावशाली साबित नहीं हो रहा है। हाल ही में एक रिपोर्ट के अध्ययन के दौरान पता चला की डेल्टा वेरिएंट्स से कई लोग संक्रमित हो रहे हैं।
डेल्टा वेरिएंट संक्रमित लोगों में 25 प्रतिशत से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मी हैं
उन सभी डेल्टा वेरिएंट संक्रमित लोगों में 25 प्रतिशत से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मी हैं जिनमें कोरोना वायरस और डेल्टा वेरिएंट दोनों का संक्रमण पाया गया। दिल्ली एनसीआर के मैक्स अस्पताल और इंस्टीट्यूट आफ जिनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी द्वारा किए गए मिलाजुला अध्ययन में पाया गया कि डेल्टा वैरीअंट फैलने के बाद भी दिल्ली में टीकाकरण का प्रभाव लोगों पर सामान्य था।
अध्ययन को करने के बाद जारी किए गए रिपोर्ट के अनुसार लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे थे लेकिन वह संक्रमण ज्यादा प्रभावशाली नहीं था इसलिए लोगों को जल्द से जल्द कोरोना के खिलाफ लड़ने वाले टीका को लेने के लिए कहा जा रहा था। हालांकि यह बात सच है कि कोरोना से लड़ने का एकमात्र उपाय टीकाकरण ही है। आईजीआईबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक और इस वैक्सीन के अध्ययन करने वाले प्रमुख शोधकर्ता शांतनु सेन गुप्ता ने इस बात की जानकारी देते हुए लोगों को वैक्सीन लेने का आग्रह किया।
इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता सांतनु सेन गुप्ता ने रिपोर्ट की बारे में बताते हुए आगे कहा कि जो 25 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मी कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं और उनमें किसी भी तरह का लक्षण नहीं पाया गया था। इसलिए उन्होंने लोगों से आग्रह करते हुए कहा कि कोरोना के खिलाफ लगने वाले टीके को लेने के बाद भी मास्क, सैनिटाइजर जैसे सामान्य चीजों का इस्तेमाल करते रहना चाहिए क्योंकि यही चीजें हैं जो कोरोना को फैलने से रोक सकती हैं।
शांतनु ने उन 25 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों के बारे में बताते हुए कहा कि करीब 95 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों को टीके की दोनों खुराक दी गई थी और उनका अध्ययन किया जा रहा था जिसके बाद अध्ययन में पाया गया कि टीका लेने के करीब 45 से 90 दिनों के बाद उनका दोबारा परीक्षण किया गया था जिसमें से 25 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों में दोबारा संक्रमण देखा गया।
इस अध्ययन के माध्यम से कहा गया कि टीकाकरण या कोरोना के खिलाफ लड़ने वाले टीके को लेने से ना केवल कोरोना के प्रभाव को कम किया जा सकता है बल्कि किसी भी गंभीर बीमारी से लड़ने में शरीर को मदद मिलती है। इस कोरोना के वैक्सीन को लेने के बाद संक्रमण को कम करके लोगों में कोरोना के डर को भी कम किया जा सकता है।