Covid-19 Second Wave Report: कोरोना के दूसरी लहर के दौरान 21.74 % केसेस अस्पताल और 2.2 % ICU में भर्ती, जानें खबरें
प्रभावशाली और खतरनाक महामारी कोरोना वायरस करीब एक साल से ज्यादा समय से अपना प्रभाव दिखा रही है। वहीं इसकी दूसरी लहर और नए वेरिएंट्स लोगों को अधिक चिंता में डाल रहे हैं। वैज्ञानिकों द्वारा इस महामारी से लड़ने के लिए मास्क, सामाजिक दूरी और वैक्सीन जैसे चीजों का इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि फिर भी लोग इससे संक्रमित हो रहे हैं।
केंद्र सरकार द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार पिछले महीने कोविड-19 के लिए बनाई गई आपातकालीन टीम ने अपनी रणनीति में काम करते हुए उस समूह ने यह सिफारिश की है कि आने वाले समय में संक्रमित सकारात्मक कोरोना मामलों में करीब 23 मामलों को अस्पताल में भर्ती कराने की तैयारी कराने का सुझाव पेश किया है।
वह समूह जो नीति आयोग के एक सदस्य वी के पॉल के अध्यक्षता में काम कर रहा है उसने यह अनुमान लगाया है कि साल 2020 के सितंबर महीने में यानी कोरोना की दूसरी लहर के आने से पहले किए गए गणना से ज्यादा मामलों पर काम कर यह आंकड़ा लोगों के साथ साझा किया है। आपको बता दें कि इस समूह ने उन 23 प्रतिशत मामलों में वैसी 20 प्रतिशत मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की बात की है जिन्हें किसी तरह की कोई अन्य गंभीर लक्षण वाली बीमारी हो।
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में भर्ती हो रहे लोगों के आंकड़ों को देखते हुए समूह ने अस्पताल में बिस्तरों को बड़ी संख्या में अलग रखने वाले पैटर्न का सुझाव भी केंद्र सरकार के सामने रखा। 1 जून को कोरोना के दूसरी लहर के चरम के दौरान देश में करीब 18 लाख सक्रिय केस थे, जिसमें से 10 राज्यों से ज्यादातर मामलों में से 21.74 प्रतिशत केसेस को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था जिसमें से 2.2 प्रतिशत लोग आईसीयू में भर्ती थे।
वीके पॉल की अध्यक्षता में काम कर रहा समूह अपने नए रिपोर्ट्स के द्वारा हर दिन करीब 4 से 5 लाख मामले मामलों को ध्यान में रखते हुए सरकार से आने वाले महीने में करीब दो लाख आईसीयू बेड तैयार करवाने की सिफारिश की है। समूह ने वेंटिलेटर के साथ वाले 1.2 लाख आईसीयू बेड, कोविड-19 आइसोलेशन बेड की संख्या 10 लाख, आईसीयू की संख्या 7 लाख और ऑक्सीजन सक्षम वाले 5 लाख बेड को तैयार कराने का सुझाव दिया है।
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अस्पतालों में इन सभी बेड की आंकड़ों की गणना 100 में से 23 सकारात्मक मामलों की देखभाल पर आधारित की गई है जिसमें 23 में से 2.5 प्रतिशत मामलों को आईसीयू और 20.5 प्रतिशत मामलों को गैर आईसीयू की देखभाल का अनुमान लगाया जा रहा है और बचे हुए 77 प्रतिशत मामलों को अलगाव यानी आइसोलेशन के लिए जरूरी बताया जा रहा है।
आपको बता दें कि इस समूह ने साल 2020 के सितंबर महीने में पहली लहर के बाद यह अनुमान लगाया था कि करीब 100 मामलों में 20 सकारात्मक मामलों को अस्पताल में भर्ती कर 3 को आईसीयू देखभाल की जरूरत पड़ेगी और 80 प्रतिशत मामलों में 50 को 7 दिनों के आइसोलेशन की देखभाल घर पर ही की जा सकेगी।
सूत्रों के अनुसार समूह ने इस गणना को 2020 में कोरोना की पहली लहर के अंत तक देखा था लेकिन दूसरी लहर के बाद अस्पतालों में बिस्तरों, आईसीयू बेड और आइसोलेशन वार्ड के इस्तेमाल को देखते हुए अपने रिपोर्ट में बदलाव किए हैं क्योंकि जहां पहली लहर के दौरान 100 में से 20 सकारात्मक कोरोना वायरस मामलों को अस्पतालों में भर्ती कराने की जरूरत देखी जा रही थी वहीं अब 100 में से 23 सकारात्मक मामलों को भर्ती कराने का सुझाव दिया जा रहा है।
पहली लहर के दौरान कहा गया था कि 80 प्रतिशत मामलों में 55 को कोविड-19 के सेंटरों की और 25 प्रतिशत मामलों को घर पर ही आइसोलेशन की मदद से ठीक किया जा सकेगा लेकिन दूसरी लहर के दौरान बढ़ रहे आईसीयू बेड, वेंटिलेटर, आइसोलेशन वार्ड के इस्तेमाल पर आधारित आंकड़ों को समूह ने सरकार के सामने पेश किया और अपनी धारणा और रिपोर्ट को बदला।