Corona Double Attack: कोरोना का “डबल अटैक” हो सकता है घातक, असम में सामने आए मामले
Corona Double Attack कोरोना के प्रतिदिन बढ़ते मामले और आ रहे तीसरी लहर ने डॉक्टरों और लोगों की चिंता को बढ़ा दिया है। इसी चिंता के दौरान कोरोना की डबल अटैक का भी मामला सामने आया है जिसके कारण खतरा और बढ़ गया है। इस चिंता का कारण यह है कि कोरोना के दो वेरिएंट एक साथ एक ही व्यक्ति पर हमला कर सकते हैं।
कोरोना की डबल अटैक का मामला असम राज्य से आया है। असम में काम करने वाली एक महिला डॉक्टर को एक ही साथ कोरोना की दो भिन्न-भिन्न वेरिएंट या स्वरूप ने संक्रमण किया और यह देश का पहला ऐसा मामला है जो चिंता का विषय है। यह जानकारी आईसीएमआर की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ बी जे बोरकाकोटी ने दी है।
यह भारत देश का पहला ऐसा मामला है जहां दोहरे संक्रमण का मामला सामने आया है। असम की उस महिला डॉक्टर ने कोरोना टीका की दोनों ही खुराक लिए थे लेकिन फिर भी वह अल्फा और डेल्टा दोनों ही वैरीअंट से संक्रमित हो गए। इस डबल अटैक और दोहरे संक्रमण के बारे में आरएमआरसी की प्रयोगशाला में डॉक्टर बोरकाकोटी के द्वारा पता चला। ऐसा बताया जा रहा है कि ब्राजील, ब्रिटेन और पुर्तगाल में भी ऐसे मामले आ चुके हैं। हालांकि वह महिला डॉक्टर बिना अस्पताल में भर्ती हुए दोनों ही वैरीअंट से लड़कर ठीक हो गए।
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दुनिया भर में इस दोहरे संक्रमण के मामले बहुत ही कम है। बेल्जियम की रहने वाली 90 वर्षीय महिला ने इस दोनों वैरीअंट का संक्रमण पहले पाया गया था जिनकी मृत्यु मार्च 2021 में हो गई।
असम की यह महिला और उनके प्रति दोनों ही डॉक्टर है और कोविड केंद्र में अपना काम करते हैं। वैज्ञानिक का कहना है कि उन्होंने इस दंपति के नमूने का परीक्षण किया था लेकिन दूसरे चरण के परीक्षण में महिला डॉक्टर में हल्की गले की खराश, नींद ना आने और बदन दर्द ऐसे लक्षण थे जिसके कारण उन्हें दूसरे वैरीअंट से संक्रमण होने की पुष्टि की गई।
आरएमआरसी के वैज्ञानिक डॉ बी जे बोरकाकोटी का कहना है कि Corona Double Attack दोहरे संक्रमण का कारण यह है कि यदि एक व्यक्ति किसी एक भी वेरिएंट से संक्रमित है और उसी बीच एंटीबॉडी बनने से पहले वह किसी दूसरे वेरिएंट के संपर्क में दो-तीन दिनों के भीतर आ जाए तो वह दोहरे संक्रमण का शिकार हो सकता है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि फरवरी और मार्च महीने में असम के दूसरी लहर के दौरान ज्यादातर मामले अल्फा संस्करण के थे लेकिन विधानसभा चुनाव अप्रैल में होने के बाद डेल्टा वैरीअंट से संक्रमित लोगों के मामले सामने आने लगे।
वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताते हुए कहा कि एक प्रकार का संक्रमण दूसरे की तुलना में ज्यादा प्रभावी होता है जिसे जिनोम सीक्वेंसिंग के द्वारा पता कर सकते हैं जिसके लिए सेंगर सीक्वेंसिंग नामक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि वह मैक्साम गिलबर्ट सीक्वेंसिंग करते हैं। यह एक ऐसी मशीन है जो हर चीज का विश्लेषण कर रिपोर्ट तैयार करती है। उन्हें इस दोहरे संक्रमण का शक टारगेट सीक्वेंसिंग करते हुए अनुक्रम के मैनुअल के विश्लेषण से पता चला था।
इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी के निदेशक ने कहा कि इस संक्रमण को रोकने का अब तक कोई तरीका नहीं मिला है। निदेशक चौहान के अनुसार वायरस किसी के शरीर के अंदर अपने दूसरे वैरीअंट बनाने में थोड़ा समय लेता है और अगर इस बीच किसी भी एंटीबॉडी का निर्माण ना हो तो वह इंसान आसानी से दो वेरिएंट का शिकार हो सकता है। उन्होंने बताया कि दोनों ही वेरियंस की एक जैसे असर देखने को मिलते हैं इसलिए बीमारी की गंभीरता उसके लक्षण पर नहीं बल्कि संक्रमित व्यक्ति की इनमें इम्युनिटी पर निर्भर करता है।