Avascular Necrosis in Maharashtra: महाराष्ट्र में पाए गए नए मरीज़।
कोरोनावायरस के दूसरे लहर के दौरान लोगों की परेशानियां और अधिक बढ़ गई है। बात करें इस वायरस के नए मामलों की तो कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। यहां तक की लोगों के मौत की दर भी कई फीसदी बढ़ चुकी है। केवल कोरोनावायरस ही नहीं बल्कि कोरोनावायरस से संक्रमित होने के पश्चात व्यक्ति को कई अन्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है, जिसमें ब्लैक फंगस भी शामिल है। हाल ही में आए डेल्टा वेरिएंट की बात करें तो वह भी कोरोनावायरस के संक्रमण की तरह ही एक खतरनाक वायरस सिद्ध हो चुका है।
बता दें कि कोरोनावायरस केसेस के बाद डेल्टा वैरीअंट के भी मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है। लेकिन हैरत कर देने वाली बात तो यह है कि कोरोनावायरस का यह खतरा ब्लैक फंगस और डेल्टा वेरिएंट तक ही सीमित नहीं है क्योंकि अब एक और नई समस्या उभर कर आ रही है। अब लोगों पर एक नया खतरा मंडरा रहा है जिसका नाम है एवैस्कुलर नेक्रोसिस। इसका एक और नाम ‘डेथ ऑफ़ बोन’ है।
गौरतलब है कि जहां महाराष्ट्र में एवैस्कुलर नेक्रोसिस के केसेस देखने को मिले हैं, वही विशेषज्ञों का भी कहना है कि म्यूकरमाइकोसिस के प्रकोप के बाद जो लोग सही सलामत बच चुके हैं उनके लिए यह बहुत अधिक खतरनाक साबित हो सकती है। संदेश आंकड़ों के मुताबिक डॉक्टरों का भी कहना है कि इसके लगातार मामले आने की संभावनाएं हैं। बता दें कि हाल ही में महाराष्ट्र के मुंबई में इसके तीन केसेस सामने आए हैं।
क्या कहती है मेडिकल जर्नल की रिपोर्ट
बात करें मेडिकल जर्नल बीएमजे केस स्टडीज की तो इसमें ‘एवैस्कुलर नेक्रोसिस ए पार्ट ऑफ लॉन्ग कोविड-19’ शीर्षक से एक अध्ययन प्रकाशित की गई थी। मेडिकल जर्नल ‘बीएमजे केस स्टडीज’ में बताया गया है कि मुंबई में स्थित हिंदुजा अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. संजय अग्रवाल ने यह कहा है कि एवैस्कुलर नेक्रोसिस को ‘लॉन्ग कोविड’ का हिस्सा माना जा सकता है।
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इसके अलावा उन्होंने बताया है कि जीवन रक्षक कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के कारण ही इस बीमारी की बढ़ोतरी हो रही है। इस अस्पताल में 40 की उम्र से अधिक लोगों को यह समस्या हो रही है। इस अस्पताल में उनका इलाज किया गया है। संजय अग्रवाल का कहना है कि जिन तीन लोगों को यह बीमारी हुई थी वह तीनों डॉक्टर थें, जिसके वजह से ही लक्षणों को पहचानने में अधिक समस्या नहीं हुई और तुरंत संक्रमण के मामले सामने आ गए।
Avascular Necrosis की जानने योग्य बातें।
गौरतलब है कि एवैस्कुलर नेक्रोसिस एक ऐसी बीमारी है, जो हड्डियों में जन्म लेते हैं। इस बीमारी में हड्डियों के उत्तकों की मौत होने लगती है और धीरे-धीरे हड्डियां गलने लगती है। रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो जाने के कारण हड्डियों को पोषण नहीं पहुंच पाता और इसी कारण हड्डियों के उत्तक की मृत्यु हो जाती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी मुख्य रूप से कूल्हे के हड्डियों में ही होती दिख रही है। दरअसल इसके अंतर्गत जांघ की हड्डी का गोल हिस्सा गलना शुरू हो जाता है। यह बीमारी मुख्य रूप से 30 से 60 वर्ष की उम्र वाले लोगों के बीच होती है। अब बात करें इस बीमारी के लक्षणों की तो इसके अंतर्गत मरीज को जांघ और कूल्हे की हड्डी में भयंकर दर्द होना शुरू हो जाता है तथा कंधे घुटने हाथ और पैर के दर्द भी असहनीय दर्द उत्पन्न करते हैं।
महाराष्ट्र सरकार ने जारी किया अलर्ट।
बता दें कि एवैस्कुलर नेक्रोसिस के बढ़ते हुए खतरे को देखते हुए राज्य सरकार ने भी अलर्ट जारी कर दिया है। राज्य सरकार के टास्क फोर्स के सदस्य यानी कि राहुल पंडित ने यह भी कहा है कि एवैस्कुलर नेक्रोसिस के मामलों पर निगरानी रखी जा रही है।