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एस्ट्राजेनेका फार्मा इंडिया (AstraZeneca Pharma India) ने किया दिल्ली हाई कोर्ट का रुख जाने क्या है पूरा मामला

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एस्ट्राजेनेका फार्मा इंडिया (AstraZeneca Pharma India) ने किया दिल्ली हाई कोर्ट का रुख जाने क्या है पूरा मामला

AstraZeneca Pharma India News Hindi: एस्ट्राजेनेका फार्मा इंडिया (AstraZeneca Pharma India) ने किया दिल्ली हाई कोर्ट का रुख जाने क्या है पूरा मामला

NPPA के डिमांड नोटिस के विरोध में एस्ट्रेजनेका फार्मा इंडिया (AstraZeneca Pharma India)को दिल्ली हाईकोर्ट का रुख करना पड़ा। NPPA ने डिमांड नोटिस में एस्ट्राजेनेका फार्मा इंडिया के विरोध में आरोप लगाया है कि कंपनी ने 8 Mar, 2019 से 31Jan, 2021 के मध्य टैग्रीसो 80 मिलीग्राम टेबलेट के संबंध में लगभग 157.38 करोड़ रुपये से अधिक का टैक्स लिया है, जो कि कानूनी तौर पर सही नहीं है।

इस पर एस्ट्राजेनेका फार्मा इंडिया (AstraZeneca Pharma India)ने मंगलवार को अपनी बात कही की- जिस डिमांड नोटिस में कंपनी द्वारा टैगरिसो 80 मिलीग्राम टेबलेट अधिक कीमत वसूलने का आरोप लगाया गया है, वह पूर्णतः गलत है। साथ ही कंपनी ने उसके विरोध में दिल्ली उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर भी की है। इस प्रकार एस्ट्राजेनेका ने NPPA के डिमांड नोटिस को सीधे तौर पर चुनौती ही दे दिया है।

एक नियामक फाइलिंग में एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca Pharma India)ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कंपनी को 25 June, 2021 को एनपीपीए से ड्रग्स (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 के प्रावधानों को ध्यान में रखकर ओसिमर्टिनिब 80 मिलीग्राम फॉर्मूलेशन युक्त टैग्रिसो टैबलेट के संबंध में मांग का नोटिस मिला था। जिसमें कहा गया है कि, “शुल्क वसूलने का नोटिस एनपीपीए की 27 Feb, 2019 की अधिसूचना के अनुसार जारी किया गया है, जिसके तहत सरकार ने उत्पाद की बिक्री के पहले बिंदु पर 42 कैंसर रोधी दवाओं के व्यापार मार्जिन पर एक सीमा निर्धारित की है और जिसे लागू करना आवश्यक है।

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डिमांड नोटिस का नतीजा यह हुआ कि एस्ट्राजेनेका फार्मा इंडिया कंपनी को नोटिस की तारीख से 30 दिनों के अंदर ही आरोप द्वारा मांग की गई राशि को भुगतान करने का आदेश दिया गया है। डिमांड नोटिस में आगे यह भी कहा गया है कि कंपनी आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के साथ पठित डीपीसीओ, 2013 के लागू नियम के अनुसार दी गई वास्तविक भुगतान की तारीख तक गणना किए गए संपूर्ण ब्याज का भुगतान करने के लिए भी जिम्मेदार है। इसके अतिरिक्त, नोटिस कंपनी को अधिकतम खुदरा मूल्य की तुलना में निविदाओं के द्वारा से सरकारी संस्थानों को निम्न दर पर आपूर्ति करने के लिए दंडित करता है। इसके अलावा लेखांकन के कार्यक्रमों के लिए वास्तविक राशि को वसूल ना करके एमआरपी को गलत तरीके से सम्मिलित किया है।

“कंपनी का मानना है कि NPPA ने कंपनी की आलेखों के पक्ष में किए गए कई सबमिशन पर पूरी तरह से विचार नहीं किया है, जिसमें यह तथ्य भी सम्मिलित है कि ओसिमर्टिनिब एक पेटेंट दवा है और इस तरह डीपीसीओ, 2013 और 27 फरवरी 2019 से संबंधित अधिसूचना ओसिमर्टिनिब पर लागू नहीं होती है। जैसा कि डीपीसीओ , 2013 के पैरा 32 के द्वारा समझा गया है।” इस तथ्य पर NPPA को पूर्ण रूप से विचार करना आवश्यक है।

कंपनी ने इस केस का गहन निरूपण किया और उसको पूर्ण विश्वास है कि NPPA की मांग पूरी तरह से अनैतिक है और कानूनी रूप से भी। एस्ट्राजेनेका फार्मा (AstraZeneca Pharma India)ने आगे कहा कि , NPPA के आदेश का उद्योग-व्यापी प्रभाव रोगी सहायता कार्यक्रमों पर हो सकता है जिसके परिणामस्वरुप रोगियों के लिए दवाओं की वहन क्षमता में कमी हो सकती है।

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image source:- http://www.canva.com

एस्ट्राजेनेका फार्मा (AstraZeneca Pharma India)ने कहा, “कंपनी ने माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष मांग नोटिस का विरोध करते हुए एक रिट याचिका दायर कर दी है।” और उसका दृढ़ विश्वास है कि दिल्ली उच्च न्यायालय डिमांड नोटिस को खारिज कर देगी।

एस्ट्राजेनेका फार्मा इंडिया के शेयर इस बार BSE पर 3,621.10 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुए, जो पिछले बंद से लगभग 0.80 प्रतिशत कम है।

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