- Asthma In Children’s: बच्चों को अस्थमा क्यों होता हैं – जानिए अस्थमा के लक्षण, बचाव व इलाज ?
- अस्थमा ( दमा रोग ) क्या होता हैं – What Is Asthma Disease In Hindi ?
- बच्चों में अस्थमा होने के क्या लक्षण दिखाई देते हैं – Symptoms Of Asthma Disease In Children’s In Hindi ?
- बच्चों को अस्थमा क्यों होता हैं – Causes Of Asthma Disease In Children’s In Hindi ?
- अगर किसी बच्चे की सांस फूलती हैं, तो क्या उसे दमा हो सकता हैं ?
- किन बच्चों में दमा होने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं – Which Children are More Likely to Get Asthma In Hindi ?
- बच्चों में अस्थमा होने का पता कैसे लगाया जाता है – How is Asthma Diagnosed in children’S In Hindi ?
- बच्चों को दमा की बीमारी से कैसे बचा सकते हैं – How to Protect Children’s From Asthma Disease In Hindi ?
- बच्चों में अस्थमा का इलाज – Treatment Of Asthma Disease In Children’s In Hindi ?
- Conclusion –
Asthma In Children’s: बच्चों को अस्थमा क्यों होता हैं – जानिए अस्थमा के लक्षण, बचाव व इलाज ?
बचपन में बच्चों के शरीर में अनेकों प्रकार की बीमारियां देखने को मिल सकती हैं, क्योंकि उनके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली बचपन में काफी कमजोर होती हैं। इसी वजह से उन्हें अनेकों बीमारियों का सामना करना पड़ सकता हैं। वैसे तो बच्चों को बचपन में अनेकों बीमारियां होती हैं लेकिन आज हम आपको बच्चों में अस्थमा ( दमा ) के बारे में बताएंगे क्योंकि बच्चों को अस्थमा भी हो सकता है यह एक ऐसी बीमारी होती है जो सांस से संबंधित होती है।
पुराने समय में तो इस प्रकार की बीमारियां बुजुर्ग व्यक्तियों में देखने को मिलती थी लेकिन आज के समय में तो छोटे बच्चों में भी अस्थमा की बीमारी देखने को मिल रही है छोटे बच्चों में भी अस्थमा ( दमा ) के लक्षण काफी गंभीर हो सकते हैं। इसीलिए हम आज आपको इस पोस्ट के माध्यम से Bacho Me Asthma Ke Lakshan In Hindi तथा Bacho Me Asthma Hone Ke Karan In Hindi इसी के साथ-साथ हम आपको Treatment Of Asthma Disease In Children’s In Hindi तथा Prevention Tips Of Asthma In Children’s In Hindi के बारे में भी बताएंगे ताकि आप अपने बच्चों को अस्थमा की बीमारी से आसानी से बचा सकें।
अस्थमा ( दमा रोग ) क्या होता हैं – What Is Asthma Disease In Hindi ?
- दमा या फिर अस्थमा आमतौर पर विशेष प्रकार की एलर्जी से होने वाले रोग हैं। जब किसी भी बच्चे को अस्थमा हो जाता हैं तो इसमें वायुमार्ग में सूजन आ जाती है वायुमार्ग में नलिकाए होती है जिनके माध्यम से बच्चों के शरीर में फेफड़ों से हवा अंदर-बाहर जाती है और जब वायु मार्ग में ही नलिका में सूजन आ जाती है, तो उसके कारण बच्चों को सांस लेने में कठिनाई होती है और उन्हें गंभीर रूप से सूखी खांसी हो जाती है या फिर उनकी सांसे रुक रुक कर चलने लगती हैं। यह सांसे तेज चलने लगती है अथवा एक ऐसी बीमारी होती है जो बच्चों में वायरल इंफेक्शन के कारण भी उत्पन्न हो सकती हैं।
- यह एक ऐसी बीमारी होती है जो लंबे समय तक भी बच्चों को प्रभावित कर सकती है अगर आपके बच्चों में इस बीमारी के थोड़े से भी लक्षण दिखते हैं तो उनका तुरंत इलाज करवाना जरूरी होता हैं, क्योंकि यह बीमारी धीरे-धीरे गंभीर हो जाती है और इस बीमारी की वजह से बच्चे के दम घुट कर उसकी मौत भी हो सकती है इसीलिए इस प्रकार की बीमारियों का समय पर इलाज करवाना जरूरी होता हैं।
- अगर आपके बच्चों को अस्थमा हो भी गया हैं, तो उनमें ज्यादातर सांस से जुड़ी बीमारियां सामने तभी आती है। जब वह एलर्जी पैदा करने वाले एलर्जन के संपर्क में आते हैं। कई बार यह एलर्जी चलाने वाली चीजें ऐसी होती है जिनके संपर्क में बच्चा कभी-कभी आता है लेकिन फिर भी बच्चे को सांस से संबंधित बीमारी हो जाती हैं।
बच्चों में अस्थमा होने के क्या लक्षण दिखाई देते हैं – Symptoms Of Asthma Disease In Children’s In Hindi ?
बच्चों में अस्थमा के कई लक्षण देखने को मिल सकते हैं, जिनसे आप इस बीमारी का अंदाजा लगा सकते हैं और अपने बच्चों का तुरंत ही इलाज शुरु करवा सकते हैं जैसे कि –
- अगर आपके बच्चों को अस्थमा हो जाता है तो उन्हें अस्थमा होने पर सांस लेने में काफी ज्यादा तकलीफ होती हैं, क्योंकि अस्थमा होने पर उनकी सांस की नलीकाएं पूरी तरह से प्रभावित हो जाती है जिसकी वजह से उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती हैं।
- अगर आपके बच्चे हैं कोई भी छोटा मोटा काम करते हैं जैसे कि घर पर सीढ़ियां चढ़ते हैं या फिर कोई खेल खेलने की कोशिश करते हैं, तो उसमें भी उनके साथ फूलते हैं और उनकी छाती में भी दर्द हो जाता हैं।
- जब बच्चों को अस्थमा हो जाता है तो अस्थमा होने पर जब वह सांस अंदर की तरफ लेते हैं और बाहर की तरफ छोड़ते हैं तो उस समय उनके मुंह के अंदर से सीटी की तरह एक आवाज आती है जो कि इस बात का सबूत होती है कि बच्चों की श्वसन प्रक्रिया बिल्कुल भी ठीक नहीं है।
- अगर किसी बच्चे को अस्थमा की बीमारी हो जाती हैं, तो उस बच्चे को बंद कमरे में या फिर किसी बंद जगह पर जाने से बहुत ज्यादा डर लगता है अगर वह जाता भी है तो उसे इस प्रकार की जगह पर सांस लेने में दिक्कत होती है, क्योंकि इस प्रकार की जगह पर उसका दम घुटने लगता हैं।
- अगर किसी बच्चे को दमा की बीमारी हो जाती हैं, तो उसके कारण बच्चे को काफी ज्यादा खांसी लगी रहती है और यह खांसी सामान्य खांसी से बिल्कुल अलग होती है क्योंकि यह सूखी खांसी होती है इसमें बच्चे को खांसते समय पूरी छाती में दर्द हो जाता हैं।
- बच्चों को अस्थमा हो जाने पर उनके होठ हाथों की उंगलियों के नाखून चेहरा आदि नीले पड़ने लगते हैं लेकिन यह लक्षण काफी गंभीर मामलों में दिखाई देते हैं। जब बच्चे को अस्थमा हुए 60 दिनों से ज्यादा का समय हो जाता हैं, तो उसके पश्चात बच्चों में इस प्रकार के लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं।
- अस्थमा होने पर आपके बच्चों को जो खांसी होती है वह ऐसी होती है जो सामान्य दवाइयों से बिल्कुल भी ठीक नहीं होती, अगर आप बच्चे को महंगी से महंगी दवाई भी खिला देते हैं, तो भी अस्थमा के कारण होने वाली खांसी ठीक नहीं होती।
- अगर आप घर में खाना बना रहे हैं और खाना बनाते समय घर में थोड़ा धुआं हो रहा है, तो उस धुएं में आपके बच्चे को सांस लेने में काफी ज्यादा तकलीफ हो जाएगी। यह भी हो सकता है कि उसी समय आपके बच्चे का दम घुटने लगे और उसे दौरा पड़ जाए यह बिल्कुल संभव हैं, क्योंकि अस्थमा के मरीज होने पर बच्चों को दौरे भी पढ़ते हैं।
बच्चों को अस्थमा क्यों होता हैं – Causes Of Asthma Disease In Children’s In Hindi ?
आपके बच्चों को अस्थमा बहुत से कारणों से हो सकता है अगर आप उन कारणों के बारे में अच्छे से जान लेते हैं, तो आप काफी हद तक अपने बच्चों में अस्थमा की बीमारी का खतरा कम कर सकते हैं।
- अगर आपने घर में कोई जानवर पाला हुआ है और उस जानवर के बाल झड़ते रहते हैं यह बाल बच्चे के मुंह में चले जाते हैं तो उसके कारण भी बच्चे को अस्थमा की बीमारी हो सकती हैं, क्योंकि जानवरों के बालों से भी बच्चे को अस्थमा की बीमारी हो सकती हैं।
- अगर आपका घर पूरी तरह से खुला है और वहां पर हमेशा ही धूल मिट्टी के कण उपस्थित रहते हैं, तो उसके कारण भी बच्चे को अस्थमा हो सकता है क्योंकि जब आपके बच्चों के मुंह में धूल मिट्टी के कण जाते हैं तो उसके कारण भी अस्थमा हो सकता हैं। इसका कारण यह है कि धूल मिट्टी के साथ-साथ बच्चों के मुंह में अनेकों प्रकार के खतरनाक बैक्टीरिया भी प्रवेश कर लेते हैं और यही बैक्टीरिया बच्चों में अनेकों प्रकार की बीमारियों का कारण भी बनते हैं।
- अगर आप अपने बच्चों के सामने धूम्रपान करते हैं या फिर आपके घर में कोई दूसरा सदस्य है बच्चों के सामने धूम्रपान करता हैं, तो उसके कारण भी बच्चों में दमा हो सकता है इसीलिए बच्चों के सामने धूम्रपान न करें।
- अगर आपके घर के आस-पास काफी फैक्ट्रियां हैं और उन फैक्ट्रियों के कारण प्रदूषण होता है तो उसकी वजह से भी बच्चे को जमा हो सकता हैं, क्योंकि फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं भी बच्चों कि सेहत के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होता।
- अगर आपका बच्चा छोटा है और आप उसे कोई ज्यादा सुगंधित परफ्यूम लगाते हैं या फिर उसके सामने आप ज्यादा सुगंध वाला परफ्यूम लगाते हैं, तो उसके कारण भी बच्चे को अस्थमा हो सकता हैं। इसके अतिरिक्त बच्चों में कीटनाशक दवाइयों या टॉयलेट साफ करने वाले सुगंधित उत्पादों के कारण हैं दमा हो सकता हैं।
- अगर आपका बच्चा बीमार हो जाता है और उस समय उसे ज्यादा Anti-Biotics Medicine खिलाई जाती हैं, अगर वह दवाइयां बच्चे को साइड इफेक्ट कर जाती हैं, तो उसके कारण भी बच्चों को जमा हो सकता है क्योंकि दवाइयों के साइड इफेक्ट के कारण भी बच्चों में दमा होना एक आम बात हैं।
- अगर आपके बच्चों को काफी समय से सर्दी जुखाम या खांसी है और आप उनका कुछ खास इलाज नहीं करवा रहे तो उसके कारण भी बच्चों में दमा होने की संभावनाएं काफी ज्यादा बढ़ जाती हैं, क्योंकि जब खांसी पुरानी हो जाती है तो वह जमा के रूप में परिवर्तित भी हो सकती हैं।
- जो बच्चे बाहर का खाना ज्यादा खाते हैं जैसे कि बाहर का तला हुआ खाना या चाइनीस खाना ज्यादा खाते हैं तो उसकी वजह से भी बच्चों को दमा हो सकता है, क्योंकि बाहर का खाना बच्चों में स्वसन तंत्र को प्रभावित करता है और स्वसन तंत्र की सूजन का कारण भी बाहर का केमिकल युक्त भोजन हो सकता हैं, इसीलिए अपने बच्चों को केमिकल युक्त भोजन से दूर रखें।
अगर किसी बच्चे की सांस फूलती हैं, तो क्या उसे दमा हो सकता हैं ?
- वैसे तो सांस फूलना दमा की बीमारी का संकेत होता है लेकिन सांस फूलने के साथ-साथ सांस बाहर की तरफ छोड़ते समय अगर सीटी की आवाज आ रही है, तो वह अस्थमा का संकेत हो सकता हैं।
- अगर आपके बच्चों की उम्र 3 साल से कम है और सामान्य है खेल खेलते समय उनकी सांस फूल रही हैं, तो यह आम बात होती है लेकिन घर पर ही खाली बैठे हुए अगर आपके बच्चों की सांस फूलने लगती हैं तो यह बिल्कुल भी समझ में बात नहीं है अगर बच्चों की पूरा दिन ही बिना मतलब सांस फूलती रहती है और दिल की धड़कन तेज हो जाती हैं तो इस चीज को देखकर आपको यह अंदाजा लगा लेना चाहिए कि बच्चों को कोई ना कोई समस्या तो जरूर हैं।
- वैसे तो डॉक्टर के द्वारा बच्चों को सांस फूलने पर इंफेक्शन की दवाइयां भी दी जाती हैं , क्योंकि बच्चों की सांस की नलीकाओं में संक्रमण की वजह से भी बच्चों की सांसें फूल सकती हैं इसीलिए डॉक्टर के द्वारा बच्चे को दवाइयां दे दी जाती हैं। अगर बच्चे को कोई बड़ी बीमारी नहीं है या फिर अस्थमा की समस्या नहीं है तो फिर तो बच्चा उन दवाइयों से आसानी से ठीक हो जाता हैं।
- बहुत बार ऐसा भी होता है कि बच्चों में सर्दी जुखाम होने की वजह से उनकी सांसें फूलने लगती हैं या फिर जब उनकी नींद पूरी नहीं होती तो नींद पूरी ना होने की वजह से भी बच्चों की सांस फूलने लगती हैं। इसीलिए इस प्रकार की छोटी मोटी बीमारियां तो डॉक्टर के द्वारा तीन से चार दिन की दवाइयां देकर ही ठीक कर दी जाती हैं।
किन बच्चों में दमा होने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं – Which Children are More Likely to Get Asthma In Hindi ?
- अगर किसी बच्चे के माता या पिता को बचपन के समय अस्थमा था, तो ऐसा हो सकता है कि उन बच्चों को अस्थमा हो जाए क्योंकि कुछ बीमारियां अनुवांशिक होती हैं।
- अगर गर्भावस्था के समय महिलाएं धूम्रपान करती हैं, तो उसके कारण उनके बच्चे को जन्म के समय ही जमा हो सकता हैं, या फिर जन्म के कुछ समय के पश्चात दमा हो सकता है इसीलिए गर्भावस्था के समय महिलाओं को धूम्रपान नहीं करना चाहिए।
- बच्चे के जन्म के पश्चात अगर कोई व्यक्ति अपने बच्चों के सामने ही धूम्रपान करता हैं, तो उन बच्चों को अस्थमा होने की संभावनाएं काफी अधिक बढ़ जाती हैं।
- जिन बच्चों का जन्म समय से पहले हो जाता हैं, तो उन बच्चों को भी अस्थमा हो सकता है क्योंकि ऐसा बहुत से मामलों में देखा गया है कि प्रीमेच्योर बच्चों ( Premature Babies ) को दमा हो जाता है। इसीलिए जो बच्चे समय से पहले ही जन्म ले लेते हैं तो उनकी देखभाल काफी अधिक करनी पड़ती हैं।
- जिन बच्चों को जन्म के पश्चात काफी दिनों तक Ventilator Support की आवश्यकता होती हैं, तो इस प्रकार के बच्चों में भी अस्थमा होने का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है। इसीलिए कोशिश करें कि गर्भावस्था के दौरान माता और बच्चे को किसी भी प्रकार की कोई तकलीफ ना हो।
बच्चों में अस्थमा होने का पता कैसे लगाया जाता है – How is Asthma Diagnosed in children’S In Hindi ?
अगर किसी बच्चे में अस्थमा के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो काफी आसानी से अस्थमा की जांच की जा सकती है जैसे कि :-
- अगर आपका बच्चा ज्यादा छोटा हैं, तो फिर डॉक्टर बच्चों के माता-पिता से बच्चों के लक्षणों के बारे में विस्तार से पूछते हैं और उन्हीं लक्षणों को देखकर बता देते हैं कि बच्चे को दमा है या नहीं।
- दमा होने पर गंभीर मामलों में बच्चे के फेफड़ों की कार्यप्रणाली की जांच ( Lung Function Test ) भी की जा सकती है क्योंकि फेफड़ों की कार्यप्रणाली की जांच ( Lung Function Test ) करके भी अस्थमा होने का पता लगाया जा सकता हैं, लेकिन इस प्रकार का टेस्ट सिर्फ उन बच्चों का किया जाता है जिनकी उम्र 5 साल से अधिक होती हैं।
- बच्चों में खून की जांच करके भी दमा की पुष्टि की जा सकती हैं, इसके अतिरिक्त छाती का एक्स-रे ( Chest X-ray ) करने के पश्चात भी दमा की पुष्टि की जा सकती हैं।
- कुछ डॉक्टर बच्चों में एलर्जी टेस्ट ( Allergy Test ) करवाने की सलाह भी देते हैं, क्योंकि बहुत बार Allergic Causes से भी बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होती है।
- जो लक्षण हमने आपको बताए हैं अगर आप इन लक्षणों को अच्छे से जान लेते हैं और आपके बच्चे में अगर ऐसे ही लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो आप समझ जाइए कि आपके बच्चे को 100% दमा हो सकता है क्योंकि इस प्रकार के लक्षण सिर्फ उन्हीं बच्चों में दिखाई देते हैं जिन्हें दमा होता हैं।
बच्चों को दमा की बीमारी से कैसे बचा सकते हैं – How to Protect Children’s From Asthma Disease In Hindi ?
आप अपने बच्चों को आसानी से जमा होने से बचा सकते हैं जैसे कि –
- सबसे पहली बात तो यह है कि अगर आप अपने छोटे बच्चों को कहीं भी बाहर लेकर जा रहे हैं और वहां पर काफी ज्यादा धूल मिट्टी हैं, तो इस प्रकार की जगहों पर आपको अपने बच्चे का मुंह ढक कर रखना चाहिए, अगर आपके बच्चे का मुंह ढका रहेगा तो फिर धूल मिट्टी के कारण खतरनाक बैक्टीरिया आपके बच्चे के शरीर में प्रवेश नहीं कर पाएंगे।
- जब बच्चा माता के पेट में होता है तो उस समय माताओं को पूरा ध्यान रखना चाहिए अगर वह उस समय प्रदूषण के संपर्क में आती हैं या फिर धुएं के संपर्क में आती हैं, तो उसके कारण भी उनके बच्चों को अस्थमा हो जाता हैं, इसीलिए महिलाओं को गर्भावस्था के समय अपना ज्यादा ध्यान रखना चाहिए।
- आपको अपने बच्चों को सुबह खाली पेट गर्म पानी पीने की आदत डालनी चाहिए क्योंकि अगर आपके बच्चे सुबह खाली पेट हमेशा ही गर्म पानी पीते हैं, तो इस प्रकार उनके फेफड़ों में धूल मिट्टी के खाने नहीं जम पाते और उनके फेफड़े पूरी तरह साफ सुथरे रहते हैं, अगर उनके फेफड़े पूरी तरह से साफ सुथरे रहेंगे तो उन्हें कभी भी आसमां जैसी बीमारियां नहीं हो पाएंगी।
- आपको अपने बच्चों के सामने कभी भी धूम्रपान नहीं करना चाहिए, क्योंकि धूम्रपान से बच्चों को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचता है इसीलिए बच्चों के सामने धूम्रपान ना करें।
- जहां पर काफी ज्यादा प्रदूषण होता है आपको अपने बच्चों को वहां पर नहीं ले जाना चाहिए या फिर आपके घर के बाहर आकर काफी ज्यादा प्रदूषण हैं, तो आपको अपने घर पर Air-Purifiers का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि आपके बच्चे बिल्कुल स्वस्थ रहें।
- छोटे बच्चों को कभी भी अपनी मर्जी से दवाई नहीं खिलानी चाहिए या फिर डॉक्टर के द्वारा दी गई दवाइयों की ज्यादा खुराक नहीं देनी चाहिए, क्योंकि दवाइयों के साइड इफेक्ट के कारण बच्चों में अस्थमा देखा गया है इसीलिए बच्चों को दवाइयों के साइड इफेक्ट तो पूरी तरह से बचा कर रखें।
- आपको अपने बच्चों को घर पर बना खाना खिलाना चाहिए और घर पर भी उन्हें कभी भी तला हुआ खाना नहीं खिलाना चाहिए।
- बच्चों के सामने कभी भी कीटनाशक दवाइयां का छिड़काव नहीं करना चाहिए, क्योंकि कीटनाशक दवाइयों के छिड़काव से बच्चों को दमा हो सकता हैं।
- अगर आपके बच्चों को खांसी हो रखी हैं, तो उस खांसी का समय पर इलाज करवाना आवश्यक है नहीं तो उसके कारण भी अस्थमा की समस्या हो सकती हैं।
बच्चों में अस्थमा का इलाज – Treatment Of Asthma Disease In Children’s In Hindi ?
- अगर किसी बच्चे को अस्थमा हो जाता हैं, तो डॉक्टर के द्वारा बच्चों में अस्थमा को ठीक करने के लिए ज्यादातर पीने वाली दवाइयां भी दी जाती हैं, क्योंकि पीने वाली दवाइयों के माध्यम से बच्चों की श्वसन नलीकाओं की सूजन को ठीक किया जाता हैं। बच्चों को पीने वाली दवाइयां देने के पीछे यह भी कारण होता है कि बच्चे पीने वाली दवाइयां आसानी से पी लेते हैं और पीने वाली दवाइयां बच्चों पर असर भी ज्यादा दिखाती हैं।
- इसके अतिरिक्त बच्चों में अस्थमा को ठीक करने के लिए उन्हें दूसरी anti-inflammatory दवाइयां भी दी जाती हैं जो की सूजन को कम कर के बच्चे को स्वस्थ बनाती हैं।
- डॉक्टर के द्वारा बच्चों में अस्थमा को ठीक करने के लिए बहुत से घरेलू नुस्खे भी बताए जाते हैं जिनका इस्तेमाल बच्चों के माता-पिता को बच्चों पर करना होता है। बच्चों के खाने पीने में भी बहुत से बदलाव किए जाते हैं ताकि बच्चों में अस्थमा की बीमारी को जल्द ही ठीक किया जा सके।
Conclusion –
बच्चों में अस्थमा की बीमारी को किस प्रकार ठीक किया जाता है और बच्चों को अस्थमा होने से किस प्रकार बचाया जा सकता है इसके बारे में हमने आपको विस्तार से बताया है ताकि आप अपने बच्चों को हमेशा ही स्वस्थ रख सकें। इसके अतिरिक्त आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको Bacho Me Asthma Ke Lakshan In Hindi तथा Bacho Me Asthma Hone Ke Karan In Hindi के बारे में बताया हैं। इसी के साथ-साथ हमने आपको Treatment Of Asthma Disease In Children’S In Hindi तथा Prevention Tips Of Asthma In Children’S In Hindi के बारे में भी बता दिया हैं, ताकि आप अपने बच्चों को अस्थमा की बीमारी से आसानी से बचा सकें।