Covid Vaccination: टीकाकरण अभियान के 7-8 महीने बाद भी नहीं मिली है कई स्वास्थ्य कर्मी और कार्यकर्ताओं को वैक्सीन की दूसरी खुराक, जानें खबरें
देश और दुनिया भर में फैल रहे खतरनाक और प्रभावशाली कोरोना वायरस जैसी महामारी ने दुनिया को जैसे रोक दिया हो। इस महामारी की वजह से लॉक डाउन की स्थिति बन गई थी जो अब भी कहीं-कहीं जारी है। इस कोरोना महामारी से लड़ने के लिए डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी, विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, यहां तक कि हमारी राज्य और केंद्र सरकार भी लोगों को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। कोरोना महामारी के फैलने के करीब एक साल बाद यानी साल 2021 के जनवरी महीने से भारत में इसके खिलाफ लड़ने वाले टीके को लोगों को दिया जाने लगा।
डॉक्टरों और विशेषज्ञों द्वारा इस बात की पुष्टि की गई कि केवल वैक्सीन की मदद से ही कोरोना वायरस से लड़ा जा सकता है। हमारे देश के कई वैज्ञानिक और विशेषज्ञ इस महामारी के खिलाफ लड़ने वाले वैक्सीन की खोज करने में लग जाए और वैक्सीन तैयार होने के बाद हमारी केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मदद से देश भर में लोगों को मुफ्त टीकाकरण अभियान के माध्यम से यह वैक्सीन दी जाने लगी।
हालांकि केंद्र सरकार ने वैक्सीन तैयार होने के बाद यह घोषणा की थी कि सबसे पहले वैक्सीन की खुराक अग्रिम पंक्ति के लोग या कार्यकर्ता जैसे कि डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी, पुलिस, आर्मी के क्षेत्र वाले लोगों को वैक्सीन की खुराक दी जाएगी क्योंकि उनकी मदद से ही कोरोना वायरस को देशभर में रोकने में मदद मिल सकती है।
साल 2021 के जनवरी महीने में अग्रिम पंक्ति के डॉक्टरों की पहचान कर उनके टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गई थी। लेकिन टीकाकरण अभियान शुरू होने के करीब 7-8 महीने बाद भी यानी आज के समय में भी कई स्वास्थ्य कर्मी और कार्यकर्ताओं को वैक्सीन की दूसरी खुराक नहीं मिली है। आंकड़ों के अनुसार यह जानकारी सामने आई है कि करीब 5 में से 1 स्वास्थ्य कर्मी ऐसे पाए गए हैं जिन्हें अब तक कोविड-19 कि केवल पहली खुराक मिली है जबकि पहली खुराक मिलने के 7 महीने बाद भी उन्हें दूसरी खुराक नहीं मिल सकी है।
आंकड़ों के अनुसार करीब एक चौथाई से ज्यादा अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को वैक्सीन की दूसरी खुराक नहीं मिली है। टीकाकरण के आधिकारिक जानकारी के अनुसार पंजाब, कर्नाटक, तमिलनाडु और दिल्ली जैसे राज्य में अलग-अलग रूप या स्तर में टीकाकरण हुआ है और इन्हीं राज्यों में सबसे कम अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को कोरोना के खिलाफ लड़ने वाली वैक्सीन की दोनों खुराक में मिली है। आंकड़ों के अनुसार 1.83 करोड़ स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को वैक्सीन की पहली खुराक मिली है जबकि 1.32 करोड़ कार्यकर्ताओं को दूसरी खुराक मिली है।
आपको बता दें कि दिल्ली, कर्नाटक और पंजाब जैसे राज्यों को छोड़कर करीब सभी राज्यों में 95 प्रतिशत को पहली खुराक दी जा चुकी है। केरल, झारखंड, हरियाणा जैसे बड़े राज्यों में करीब 100 प्रतिशत लोगों को पहली खुराक दी गई है जबकि 85 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जिन्हें उनकी दूसरी खुराक मिली है।
वहीं तमिलनाडु में करीब 40 प्रतिशत फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों को वैक्सीन की दूसरी खुराक मिली है। सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि हिमाचल प्रदेश सबसे ज्यादा पहली खुराक देने वाला राज्य था लेकिन वहां दूसरी खुराक केवल 38 प्रतिशत लोगों को मिली। हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि पहली और दूसरी खुराक के इस अनुपात में अंतर इसलिए आया क्योंकि उन्हें वैक्सीन के लिए काफी लंबे समय का इंतजार करना पड़ा था।
लेकिन कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां पहली खुराक लेने वाले लोगों के आंकड़े भी कम थे। पंजाब में केवल 61 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों को वैक्सीन की पहली खुराक दी गई जिसके लिए वहां के अधिकारी वैक्सीन की कमी की बात कह रहे हैं लेकिन उन्होंने यह भी माना है कि उनके पास अपने राज्य का पूरा टीकाकरण आंकड़ा मौजूद नहीं है।
वहीं दिल्ली में केवल 87 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों को वैक्सीन की पहली खुराक मिली है। ओडिशा, गुजरात, राजस्थान, असम जैसे राज्यों में ना केवल पहली खुराक बल्कि वैक्सीन की दूसरी खुराक का भी आंकड़ा काफी अच्छा रहा। गोवा जैसे छोटे राज्य में करीब 90 प्रतिशत टीकाकरण की बात सुनिश्चित की गई है।