Covid-19 in Ahmedabad: अहमदाबाद में कोविड-19 से मरने वालों में रोज करीब 87 कोरोना संक्रमित मरीजों की मृत्यु, जानें खबरें
भारत के साथ-साथ दुनिया के कई देशों में कोरोना महामारी ने अपना प्रभाव दिखाया है। कोरोना वायरस की पहली लहर जहां बुजुर्गों को ज्यादा प्रभावित कर रही थी तो वहीं अब कोरोना कि दूसरी लहर ने भी भारत के साथ कई देशों में दस्तक दे दिया है जो पहली लहर के मुकाबले ज्यादा प्रभावशाली और खतरनाक साबित हो रहा है।
इसी बीच भारत में कोरोना की दूसरी लहर के साथ उसके नए रूप जैसे कि डेल्टा वैरीएंट और डाटा प्लस वैरीएंट ने लोगों को काफी डरा दिया है। कोविड-19 दूसरी लहर में कोरोना से संक्रमित मरीजों की मृत्यु के आंकड़े अधिक आ रहे हैं। वही गुजरात के अहमदाबाद में कोरोना महामारी की आई दूसरी लहर ने गुजरात में काफी तबाही फैला दी है। आपको बता दें कि सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक अप्रैल और मई महीनों के 8 हफ्तों में करीब 5314 कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की मृत्यु को दर्ज किया गया था। इस आंकड़े से यह अनुमान लगाया गया कि करीब एक कोरोना मरीज हर 15 मिनट में मरता है यानि हर रोज करीब 87 कोरोना संक्रमित मरीजों की मृत्यु अहमदाबाद में हो रही है।
कोविड-19 से मरने वालों की संख्या बढ़ रही है और इस बात का कारण यह बताया जा रहा है कि करीब 30 प्रतिशत मरीजों में उनके मेडिकल रिकॉर्ड के बारे में बताया ही नहीं गया बल्कि 60 वर्ष से कम उम्र के लोगों में उनकी स्वास्थ्य स्थिति छिपी हुई थी। कई कोरोना संक्रमित मरीज इस्केमिक कार्ड इश्यू, टीबी, ब्रोंकाइटिस जैसे खतरनाक बीमारी जूझ रहे थे लेकिन उन बीमारियों के मेडिकल रिकॉर्ड्स कोरोना के इलाज के समय नहीं दिए गए बल्कि क्लीनिकल ऑटोप्सी के दौरान मरीजों में इन बीमारियों की बात सामने आई थी।
अहमदाबाद में स्थित बीजे मेडिकल कॉलेज के प्रमुख डॉक्टर और फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ कल्पेश साने इस जानकारी के बारे में बताते हुए कहा कि कोविड-19 से संक्रमित 31 लोगों के मरने के बाद उनका परीक्षण किया गया था जिसके बाद विशेषज्ञों ने इस बात की जानकारी दी थी। डॉक्टर कल्पेश शाह मैं आगे बताते हुए कहा कि फेफड़ों हृदय या रक्त वाहिकाओं पर ध्यान देते हुए डॉक्टर दीपक वोहरा और डॉक्टर हरीश खूबचंदानी ने जैविक मार करो आंतरिक अंगों और चिकित्सा इतिहास की मदद से इस स्थिति की जांच करते हुए रिकॉर्ड्स का विश्लेषण किया था।
इस जांच के दौरान 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों 67 प्रतिशत और 60 वर्ष से कम 33 प्रतिशत लोगों को शामिल किया गया था। इस विश्लेषण के दौरान वैसे मृतकों को शामिल किया गया था जो अस्पताल में 2 घंटे तक भर्ती हुए थे और 13 दिन 18 घंटे भर्ती किए हुए मरीजों को भी इसमें शामिल किया गया था।
डॉ खूबचंदानी ने बताया कि उन सभी मृत कोरोना मरीजों में करीब 87 प्रतिशत लोगों में मधुमेह, रक्तचाप, हृदय संबंधी रोग के साथ कई अन्य बड़ी बीमारियां पाई गई। उन्होंने बताया कि केवल 13 प्रतिशत ऐसे मृत लोग थे जिनके अंदर किसी भी तरह की बीमारी या स्वास्थ्य स्थिति नहीं थी। उन्होंने इस विश्लेषण के दौरान इकट्ठा की गई जानकारी के अनुसार बताया कि अस्पताल में आने वाली एक तिहाई मरीज यानी करीब 30 प्रतिशत लोगों को उनके फेफड़े और ह्रदय से जुड़े बीमारियों के बारे में पता ही नहीं होता या कई लोग उन बीमारियों के संकेतों को नजरअंदाज कर देते हैं जो कोरोना के इलाज के समय काफी खतरनाक भी हो सकता है।
वहीं डॉ वोरा ने कोरोना संक्रमित मृतकों के इस परीक्षण के बाद बताया कि अस्पताल में भर्ती हो रहे कोरोना मरीजों में 76 प्रतिशत ऐसे मरीज थे जो अपने फेफड़ों की कठिन समस्या के बारे में थोड़ी सूचना दे रहे थे लेकिन करीब 70 प्रतिशत ऐसे कोरोना मरीज थे जिनकी फेफड़ों की वजन या भार में 3 गुना तक बढ़ोतरी पाई गई थी जिसके कारण मरीजों को सांस लेने में काफी कठिनाई होती है।