Global Warming: 2040 तक ग्लोबल वॉर्मिंग 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ने की बात, दुनिया जा रही है विनाश की ओर

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Ankit Kumar
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Global Warming: 2040 तक ग्लोबल वॉर्मिंग 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ने की बात, दुनिया जा रही है विनाश की ओर

दुनिया भर के जलवायु परिवर्तन को लेकर यूनाइटेड नेशन ने एक रिपोर्ट तैयार की। जिस रिपोर्ट के अनुसार जलवायु में कई अनिश्चित बदलाव देखे जा रहे हैं। वैज्ञानिकों ने भी सभी को जलवायु से संबंधित परिवर्तन को लेकर आगाह किया है और कहा यदि हम अभी नहीं संभलेंगे तो जलवायु आगे भविष्य में रहने लायक नहीं बचेगा। इंसानों ने अपने विकास के लिए जलवायु के बारे में जरा भी नहीं सोचा और इसका कुप्रभाव हमें आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा और आज भी देखने को मिल रहा है।

यूएन की रिपोर्ट में कहा गया कि आने वाले दिनों में ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव दुनिया के सभी देशों में देखा जाएगा चाहे वह उत्तरी अमेरिका हो या ऑस्ट्रेलिया। इसके अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट आफ ट्रॉपिकल मेटेरोलॉजी साइंटिस्ट द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया कि ग्लोबल वार्मिंग का सबसे ज्यादा कुप्रभाव एशिया द्वीप पर पड़ेगा। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 2040 तक वैश्विक तापमान में 1.25 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी, जो इस धरती के सभी प्राणियों के लिए एक बहुत बड़ी समस्या की बात है।

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वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया कि दुनिया के हर क्षेत्रों मैं जलवायु परिवर्तन निरंतर रूप से देखा जा रहा है, आसान शब्दों में कहें तो वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन हमेशा होते आया है लेकिन हाल के कुछ दशकों में जो गर्माहट बढ़ी है, वह इससे पहले नहीं देखा गया। वैज्ञानिकों ने दुनिया को आगाह करते हुए कहा कि सभी देशों में तापमान में वृद्धि देखी जा रही हैं, चाहे वह एशिया के देश हो या यूरोप के, सभी देशों में लगातार तापमान वृद्धि देखी जा रही है। इसके अलावा पिछले दो दशकों में आइसलैंड के 750 वर्ग किलोमीटर ग्लेशियर पिघल चुके हैं।

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सोमवार को जलवायु परिवर्तन को लेकर जिस रिपोर्ट को तैयार किया गया उसका इंतजार दुनिया में सभी लोग कर रहे थे। इस रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया था कि 2050 तक 1.5 डिग्री सेल्सियस वैश्विक तापमान बढ़ जाएगा। लेकिन रिपोर्ट आने के बाद एक ऐसी बात सामने आई जिसके कारण सभी आश्चर्यचकित हो गए। विश्व में वैश्विक तापमान 2050 तक नहीं बल्कि उसके 10 साल पहले ही 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा। यह वैश्विक स्तर पर एक विकट समस्या हैं।

जलवायु परिवर्तन को लेकर इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि मानव जाति में महासागरों, वातावरण एवं जमीनों को गर्म किया है, जिसका अंजाम भी मनुष्य जाति को ही भोगना है। महासागर, जीव मंडल, क्रोयोस्फीयर और वायुमंडल में अनिश्चित परिवर्तन देखे गए हैं। हालांकि कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी करके जलवायु परिवर्तन को स्थिर किया जा सकता है। लेकिन ग्लोबल वॉर्मिंग को स्थिर करने में कम से कम 20 से 30 वर्ष का समय लग सकता है।

Global Warming
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रिपोर्ट द्वारा यह भी पता चलता है कि मानव के कार्यकलापों से ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन 1850-1900 के बाद 1.1 डिग्री सेल्सियस ग्लोबल वार्मिंग बढ़ी है। और यह भी पता चला है कि आने वाले 20 वर्षों में वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने की उम्मीद है।

रिपोर्ट के अनुसार बताया गया कि जलवायु परिवर्तन के कारण अधिक बाढ़, वर्षा एवं कई जगहों पर तीव्र सूखा भी देखने को मिल रहा है।

ग्लोबल वार्मिंग जलवायु परिवर्तन वर्षा के पैटर्न मैं भी प्रभाव डाल रहा है, जैसे कि उपोष्ण कटिबंधीय के अधिकतर हिस्से में वर्षा के घटने का अनुमान है और उच्च अक्षांशो में वर्षा की वृद्धि होने की , इसके अलावा मानसून वर्षा में भी परिवर्तन क्षेत्र के अनुसार होगा।

समुंद्री स्तर की चरम घटनाएं जो पहले एक शताब्दी में एक बार होती थी वह इस सदी के अंत तक हर साल होने की संभावना है। इसके अलावा बर्फ और ग्लेशियरों का तेजी से पिघल ना और आर्कटिक क्षेत्रों में समुंद्री बस को नुकसान होने की बात की गई।

भूतकाल वर्तमान और भविष्य को लेकर यह रिपोर्ट से स्पष्ट तस्वीर तैयार हुए हैं जिसके आधार पर विश्व के सभी देशों को गंभीरता से सोचने और कदम उठाने की जरूरत है।

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