Covaxin कोवैकसिन की मंजूरी पर उठ रहे सवालों का ICMR के डीजी ने जवाब दिया, कहा नए स्ट्रेन पर भी करेगी असर
आईसीएमआर के डीजी बलराम भार्गव ने बताया कि भारत में बन रही दोनों कोरोना वैक्सीन दूसरी वैक्सीन के मुकाबले ज्यादा शक्तिशाली और प्रभावी हैं। मीडिया से बातचीत के दौरान कोवीशिल्ड और कोवैक्सीन की मंजूरी के बाद उठ रहे कई सवालों के जवाब बलराम भार्गव ने दिया।
इस कोरोना वायरस जैसी महामारी के खिलाफ लड़ने के लिए भारत में दो वैक्सीन को तैयार किया गया है जिसे सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा मंजूरी मिली थी। डीसीजीआई (डीसीजीआई) ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशिलड को मंजूरी दी थी।
देश में वैज्ञानिकों द्वारा कोरोना से लड़ने के लिए यह दवाई बनाई गई है जिसके कारण देश में खुशी की लहर है लेकिन इसी बीच विपक्षी इस वैक्सीन के प्रभाव पर सवाल उठा रहे हैं। विपक्षी के सवालों का जवाब देते हुए आईसीएमआर (ICMR) की डीजी बलराम भार्गव ने लोगों को बताते हुए कहा कि किसी अन्य कोरोना वैक्सीन के मुकाबले भारत में बन रही दोनों वैक्सीन कोरोना महामारी पर ज्यादा प्रभाव दिखा रहे हैं।
इसी बीच उन्होंने टीकाकरण कार्यक्रम को लेकर भी जवाब दिया और कहा कि वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद उसे अलग-अलग राज्यों में भेजा जा रहा है। बलराम भार्गव ने टीकाकरण के ड्राई रन को भी लेकर सफलता की बात की और कहा कि सभी लोगों को टीका लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि भारत की स्वास्थ्य मंत्रालय करीब पिछले 16 वर्षों से महिलाओं और बच्चों को टीका लगाने का काम कर रही है इसलिए कोरोना वायरस के लिए दी जा रही टीकाकरण कार्यक्रम को भी सफल बनाने की क्षमता भारत की स्वास्थ्य मंत्रालय के पास है।
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बलराम भार्गव ने कोवैक्सीन को मंजूरी देने के बारे में कहा कि आईसीएमआर (ICMR) द्वारा तैयार किए गए वायरस को भारत बायोटेक को देने के बाद फेज वन और टू ट्रायल की स्थिति को देखते हुए तीसरे चरण को पूरा किया जा रहा है और मरीजों को दी गई वैक्सीन का मॉनिटरिंग पर इसे जल्दी क्लिनिकल तौर पर मंजूरी दी गई है।
उन्होंने एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया की बैकअप प्लान के बारे में बात की और कहा कि कोवैक्सीन का इस्तेमाल कर हम यूके स्ट्रेन से भी लड़ सकते हैं। भारत में बनाई जा रही कोविशिलड और कोवैक्सीन को अगर दो से 8 डिग्री के तापमान पर रखा जाए और 28 दिनों के अंदर इस वैक्सीन की दोनों डोज दे दी जाए तो वह यूके स्ट्रेन पर भी प्रभावी हो सकती है।
उन्होंने वैक्सीन को मार्केट में लाने वाली बात पर कहा कि वैक्सीन को इमरजेंसी यूज़ के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन पूरी तरह से लाइसेंस मिलने के बाद ओपन मार्केट में भी इसे आसानी से बेचा जा सकेगा।
बलराम भार्गव ने वैक्सीन की शॉर्टकट पर बात करते हुए कहा कि इसे बनाने में किसी तरह का शॉर्टकट का इस्तेमाल नहीं किया गया है बल्कि चूहों और बंदरों पर किए गए फेज 1 और 2 का ट्रायल करने के बाद ही भारत द्वारा दोनों वैक्सीन को तैयार कर लोगों की दिया जा रहा है और इस वैक्सीन को बनाने के पीछे वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत लगी है।
उन्होनें इस बात की भी जानकारी दी कि भारत में बने कोविशिल्ड और कोवैकसीन बाहर देशों के मॉडर्ना और फाईजर से काफी बेहतर है क्योंकि इन दोनों भारत के वैक्सीन को अन्य वैक्सीन की तरह नॉर्मल तापमान यानि 2 से 8 डिग्री की तापमान में रख सकते हैं।
भारत की बनी वैक्सीन के प्रभाव पर भी कई सवाल उठाए जा रहे थे जिसका जवाब देते हुए बलराम भार्गव ने कहा कि दुनिया में किसी भी बीमारी के लिए बनाई गई वैक्सीन 100 प्रतिशत प्रभावशाली नहीं होती है और ऐसे में भारत द्वारा कोरोना वायरस से लड़ने के लिए बनाई गई वैक्सीन 70 प्रतिशत प्रभाव दिखा रही है। हालांकि इस महामारी से बचने के लिए सेनेटाइजर, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को हमेशा अपनाने की जरूरत है क्योंकि इसकी वजह से ही कोरोना वायरस संक्रमण का चैन तोड़ा जा सकता है।