बच्चों को एनीमिया बीमारी क्यों होती हैं – जानिए एनीमिया बीमारी से बचाव लक्षण तथा इलाज ?
ऐसी बहुत सी बीमारियां होती है जो बच्चों में जन्म के समय की हो जाती हैं या फिर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को हो जाती हैं। आपने अक्सर बहुत से बच्चे देखे होंगे जो बिल्कुल कमजोर होते हैं और अपनी उम्र के बच्चों से भी काफी पीछे रह जाते हैं। यह अक्सर शरीर में पोषक तत्वों की कमियां आ जाने के कारण होता हैं। कुछ बच्चों में जन्म के समय ही एनीमिया रोग हो जाता है और यह एनीमिया रोग आज के समय में अधिकतर बच्चों को होने लगा हैं, क्योंकि गर्भावस्था के समय बच्चे की माता का खानपान अच्छा ना होने की वजह से बच्चों को जन्म के समय ही एनीमिया रोग हो सकता हैं।
- बच्चों को एनीमिया बीमारी क्यों होती हैं – जानिए एनीमिया बीमारी से बचाव लक्षण तथा इलाज ?
- बच्चों में एनीमिया क्या होता हैं – What Is Anemia Disease In Children’s In Hindi ?
- एनीमिया बीमारी के कितने प्रकार होते हैं – Types Of Anemia Disease In Hindi ?
- बच्चों में एनीमिया किस कारण से होता है – Causes Of Anemia Disease In Children In Hindi ?
- बच्चों में एनीमिया होने के लक्षण – Symptoms Of Anemia Disease In Children’s In Hindi ?
- एनीमिया बीमारी के जोखिम कारक क्या हैं – What Are the Risk Factors for Anemia Disease In Children’s In Hindi ?
- बच्चों में एनीमिया बीमारी की जांच कैसे की जाती हैं – Diagnosis Of Anemia Disease In Children’s In Hindi ?
- बच्चों में खून की कमी का इलाज कैसे होता हैं – Treatment Of Anemia Disease In Children’s In Hindi ?
- बच्चों में एनीमिया की बीमारी का घरेलू उपचार – Home Remedies For Anemia Disease In Children’s In Hindi ?
- Anemia in Children Conclusion
यह एक ऐसा रोग होता है जिसमें धीरे-धीरे बच्चा कमजोर हो जाता है और उसके शरीर की त्वचा भी पीली पड़ने लगती हैं, अगर आप कुछ बातों को गर्भावस्था के दौरान समझ ले तो आप अपने बच्चों को आसानी से जन्म के पश्चात एनीमिया रोग से बचा सकते हैं। आज हम इस पोस्ट के माध्यम से आपको एनीमिया बीमारी के बारे में ही से बताएंगे कि Causes Of Anemia In Children’s In Hindi तथा Symptoms Of Anemia In Children’s In Hindi इसी के साथ साथ हम आपको Diagnosis Of Anemia Disease In Children’s In Hindi तथा Treatment Of Anemia Disease In Children’s In Hindi के बारे में भी बताएंगें।
बच्चों में एनीमिया क्या होता हैं – What Is Anemia Disease In Children’s In Hindi ?
जिस बच्चे में एनीमिया ( Anemia ) रोग होता है तो उसमें खून की कमी हो जाती हैं, अगर साधारण शब्दों में कहें तो खून की कमी को ही एनीमिया ( Anemia ) रोग कहा जाता है। इस बीमारी में बच्चे के शरीर के खून में मौजूद रेड ब्लड सेल्स की कमी या फिर उनके शरीर में रेड ब्लड सेल्स ( Red Blood Cells ) बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती हैं। रेड ब्लड सेल्स ( Red Blood Cells ) शरीर के सभी टिशू ( Tissue ) तक ऑक्सीजन ( Oxygen ) पहुंचाने का काम करते हैं वैसे तो यह बीमारी मुख्य रूप से शरीर में आयरन ( Iron ) की कमी होने के कारण होती है।
हमारे शरीर को जितने भी जरूरी पोषक तत्व चाहिए होते हैं उनमें आयरन भी सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व हैं, आयरन ही हमारे शरीर में रेड ब्लड सेल्स के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। इसीलिए जब बच्चे के शरीर में आयरन की कमी हो जाती है तो बच्चे को एनीमिया रोग आसानी से हो जाता है। इस रोग में धीरे-धीरे बच्चे के शरीर में खून की मात्रा कम हो जाती हैं, क्योंकि जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता हैं, तो उसके शरीर को अधिक मात्रा में खून की आवश्यकता भी होती है और इस बीमारी से पीड़ित बच्चे का शरीर इतना सारा खून नहीं जुटा पाता।
एनीमिया बीमारी के कितने प्रकार होते हैं – Types Of Anemia Disease In Hindi ?
एनीमिया बीमारी के मुख्य रूप से तीन प्रकार होते हैं जैसे कि :-
1. माइक्रोसाइटिक ( Microcytic )
एनीमिया बीमारी का यह प्रकार एक बहुत ही सामान्य प्रकार है जो अक्सर शरीर में आयरन की कमी होने के कारण हो सकता है। एनीमिया के प्रकार ज्यादा खतरनाक नहीं होता इसे आसानी से दवाइयों के माध्यम से ठीक किया जा सकता हैं।
2. नॉर्मोसाइटिक ( Normocytic )
बच्चों में एनीमिया का यह प्रकार जन्म से ही पाया जाता है अगर जन्म के साथ ही बच्चे के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में कमी या फिर बच्चे के रेड ब्लड सेल्स में कमी हैं, तो उसकी वजह से एनीमिया का यह प्रकार सामने आता हैं इस प्रकार के एनीमिया को भी आसानी से नियंत्रित किया जा सकता हैं।
3. मैक्रोसाइटिक ( Macrocytic )
एनीमिया रोग का यह प्रकार मुख्य रूप से विटामिन B-12 तथा फोलेट की कमी के कारण होता है और यही वजह है कि एनीमिया का यह प्रकार बच्चों में बहुत ही ज्यादा मुश्किल से देखने को मिलता है।
बच्चों में एनीमिया किस कारण से होता है – Causes Of Anemia Disease In Children In Hindi ?
बच्चों में एनीमिया बहुत से कारणों से हो सकता है जैसे कि :-
आयरन की कमी
अगर आपके बच्चे के शरीर में जन्म से ही आयरन की कमी हैं, तो फिर उसे एनीमिया रोग जन्म से ही हो सकता हैं। कुछ बच्चों को एनीमिया बीमारी जन्म से नहीं होती लेकिन जन्म के पश्चात उनके शरीर में आयरन की कमी के कारण एनीमिया रोग हो सकता हैं।
मां का दूध ना मिलना
अगर किसी बच्चे को बचपन से ही मां का दूध नहीं मिलता या किसी कारणवश उसकी माता उसे अपना दूध नहीं पिला पा रही हैं तो मां का दूध ना मिलने की स्थिति में भी बच्चे को एनीमिया रोग हो सकता हैं।
गाय के दूध पर निर्भर रहना
अगर आपका बच्चा सिर्फ गाय के दूध पर ही निर्भर रहता हैं, तो उसके कारण भी बच्चे के शरीर में आयरन की कमी हो सकती है और आयरन की कमी हो जाने पर उसके शरीर में धीरे-धीरे खून की कमी भी होने लगेगी, इसीलिए बच्चे को जन्म से ही गाय के दूध पर ज्यादा निर्भर नहीं रखना चाहिए।
आंतों से खून आना
अगर आपके बच्चे के शरीर की आंतों में से खून का रिसाव होता हैं, तो खून का रिसाव होने के कारण भी आपके बच्चे की आंतों से खून आ सकता हैं, इसीलिए जन्म के पश्चात बच्चे की शारीरिक जांच आवश्यक होती हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना
अगर जन्म के साथ ही आपके बच्चे के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी हैं, तो उसके कारण आपके बच्चे को एनीमिया रोग हो सकता हैं, क्योंकि कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हें अपनी माता की कमजोरी की वजह से गर्भ में सभी पोषक तत्व नहीं मिल पाते जिसकी वजह से उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती हैं।
रक्त संबंधी विकार
अगर आपके बच्चे को बचपन से ही रक्त संबंधित विकार हैं, तो उसकी वजह से भी बच्चे को एनीमिया रोग हो सकता है। कई बार ऐसा भी होता है कि बहुत से बच्चों के शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं अच्छे से नहीं बन पाती जिसकी वजह से बच्चे को एनीमिया रोग हो सकता हैं।
विटामिन B12 की कमी
अगर आपके बच्चे के शरीर में बचपन से ही विटामिन बी12 की कमी हैं, तो उसकी वजह से भी आपके बच्चे को एनीमिया रोग हो सकता हैं, क्योंकि विटामिन B12 आयरन की वजह से ही शरीर में आता है और विटामिन B12 खून बनाने में सहायता करता है और जब बच्चे के शरीर में विटामिन B12 की कमी हो जाती है तो इसी इसी को हम एनीमिया कहते हैं।
फोलेट की कमी
अगर आपके बच्चे के शरीर में बचपन से ही फोलेट की कमी हैं, तो फोलेट की कमी होने के कारण भी आपके बच्चे को एनीमिया रोग हो सकता हैं, क्योंकि फोलेट भी खून बनाने के लिए बहुत ही ज्यादा आवश्यक होता हैं।
बच्चों में एनीमिया होने के लक्षण – Symptoms Of Anemia Disease In Children’s In Hindi ?
जब आपके बच्चे को एनीमिया रोग हो जाता हैं, तो उसके शरीर में आपको बहुत से बदलाव देखने को मिल सकते हैं, जिनसे आप इस बात का जायजा लगा सकते हैं कि बच्चे के शरीर में एनीमिया की कमी है जैसे कि :-
- अगर आपके बच्चे को एनीमिया रोग हो जाता हैं, तो वह काफी ज्यादा चिड़चिड़ा हो जाता है। आप बहुत ही जल्दी महसूस करेंगे कि आपका बच्चा Anemia की बीमारी में दूसरे बच्चों की अपेक्षा काफी ज्यादा चिड़चिड़ा रहने लगेगा।
- एनीमिया की बीमारी में आपके बच्चे को सांस लेने में काफी तकलीफ होती हैं। इसीलिए आपका बच्चा इस बीमारी से संक्रमित होने पर लंबी लंबी सांसे लेने की कोशिश करेगा और उसका दम भी घुटेंगा।
- एनीमिया रोग होने पर आपके बच्चे को भूख लगनी बंद हो जाती हैं क्योंकि Anemia बीमारी बच्चे की भूख को भी प्रभावित करती हैं, इसलिए इस बीमारी से ग्रसित होने पर आपके बच्चे को भूख लगने बंद हो जाएगी या फिर वह बहुत ही कम खाएगा।
- एनीमिया रोग हो जाने पर आपके बच्चे को काफी ज्यादा थकान रहती हैं, क्योंकि खून की कमी के कारण बच्चे के शरीर में पूजा का स्तर भी गिरने लगता हैं, जिसकी वजह से वह सिर्फ थका हुआ महसूस करता है और उसके शरीर में भी काफी ज्यादा कमजोरी आ जाती हैं। इसीलिए आप अपने बच्चे की थकावट को देखकर आसानी से इस बात का जायजा लगा सकते हैं कि आपके बच्चे के शरीर में किसी चीज की कमी हैं।
- Anemia Disease हो जाने पर आपके बच्चे की जीभ में काफी ज्यादा ऐठन रहती हैं, जिसकी वजह से उसकी जीभ में काफी ज्यादा दर्द रहता है और वह अच्छे से कुछ खा पी भी नहीं पाता।
- जब बच्चों के शरीर में एनीमिया रोग के कारण खून की कमी हो जाती हैं, तो इसकी वजह से सारा दिन बच्चे का सिर दर्द रहता है और उसे बहुत ज्यादा चक्कर भी आते हैं।
- एनीमिया रोग के कारण बच्चों में खून की कमी Anemia Disease के कारण बच्चों में खून की कमी हो जाने पर आपके बच्चे की आंखें काफी ज्यादा पीली दिखाई पड़ती हैं, क्योंकि शरीर में खून की कमी के कारण पीलापन ज्यादा दिखने लगता हैं।
- एनीमिया रोग में बच्चे के हाथों पैरों के नाखून बहुत ही ज्यादा कमजोर हो जाते हैं, क्योंकि हाथों पैरों के नाखून को बनने के लिए ज्यादा से ज्यादा खून की आवश्यकता भी होती हैं। यदि आपके बच्चे के शरीर में खून की कमी होगी तो उसके कारण उसके नाखून खुद ही कमजोर हो जाएंगे।
- एनीमिया की बीमारी में आपके बच्चे की त्वचा ढीली पड़ जाती है यदि आपके बच्चे का रंग गोरा हैं, तो गोरे रंग के बच्चे की त्वचा पर पीलापन पहले ही काफी ज्यादा दिखने लगता है क्योंकि खून की कमी के कारण बच्चे की त्वचा पीली हो जाती हैं।
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एनीमिया बीमारी के जोखिम कारक क्या हैं – What Are the Risk Factors for Anemia Disease In Children’s In Hindi ?
बहुत से ऐसे जोखिम कारक हैं जो बच्चों में एनीमिया बीमारी का खतरा काफी ज्यादा बढ़ा देते हैं जैसे कि :-
समय से पहले जन्म
अगर आपके बच्चे का जन्म समय से पहले ही हो जाता हैं तो समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों में अक्सर एनीमिया की बीमारी देखी जाती है क्योंकि जो बच्चे समय से पहले जन्म ले लेते हैं तो उनके शरीर का विकास काफी हद तक अधूरा रह जाता हैं, क्योंकि बच्चे का विकास 9 महीने तक ही पूरी तरह से होता हैं, अगर उससे पहले बच्चे का जन्म हो रहा है तो बच्चे किसी में कुछ ना कुछ कमी तो जरूर होती है इसीलिए अगर आपका बच्चा जल्दी जन्म ले लेता हैं, तो उसकी शारीरिक जांच अवश्य करवाएं।
कम वजन का बच्चा
अगर आपका बच्चा जन्म के समय कभी कम वजन का हैं, तो कम वजन के बच्चों में भी एनीमिया बीमारी देखी जाती हैं, क्योंकि कम वजन उन्हीं बच्चों का होता है जिनके शरीर में पोषक तत्वों की कमियां होती हैं और सभी पोषक तत्वों में आयरन भी मौजूद होता है अगर बच्चे के शरीर में आयरन की कमी है तो एनीमिया रोग तो होगा ही। इसीलिए अगर आपका बच्चा जन्म के समय काफी कम वजन का है तो उसकी शारीरिक जांच अवश्य करवाएं।
माता की वजह से
अगर गर्भावस्था के दौरान महिलाएं अपना ख्याल नहीं रखती हैं और पोषक तत्वों का सेवन नहीं करती हैं, तो उसके कारण भी उनके बच्चे को एनीमिया रोग हो सकता है। बहुत-सी महिलाओं की तो जीवनशैली ही इतनी ज्यादा बेकार होती है की जिसकी वजह से उनके बच्चे को नुकसान पहुंचता हैं। इसीलिए गर्भावस्था के समय महिलाओं को अधिक से अधिक मात्रा में पोषक तत्वों का सेवन करना चाहिए तभी उनका बच्चा जन्म के पश्चात स्वस्थ रह सकता हैं।
जन्म के पश्चात लापरवाही
बच्चे के जन्म के पश्चात उसके साथ लापरवाही बरतते हैं तो इसके कारण भी आपके बच्चे के शरीर में एनीमिया की कमी हो सकती हैं। इसलिए जब आपके बच्चे का जन्म हो जाता हैं, तो जन्म के पश्चात बच्चे का पूरी तरह से ख्याल रखें और जो भी जरूरी चीज बच्चे को आप खिला सकते हैं वह जरूर खिलाएं, ताकि बच्चे के शरीर में पोषक तत्वों की कमी ना हो पाए।
बच्चों में एनीमिया बीमारी की जांच कैसे की जाती हैं – Diagnosis Of Anemia Disease In Children’s In Hindi ?
अगर किसी भी बच्चे के शरीर में एनीमिया बीमारी के लक्षण नजर आते हैं, तो उसकी शारीरिक जांच बड़ी आसानी से हो सकती है जिसके माध्यम से Anemia Disease का पता लगाया जा सकता है।
- एनीमिया बीमारी का पता लगाने के लिए बच्चे के शरीर में आयरन की मात्रा की भी जांच की जाती है क्योंकि आयरन की मात्रा कम होने की वजह से भी बच्चे के लक्षण दिखाई दे सकते हैं इसीलिए आयरन की जांच की जाती है।
- एनीमिया की जांच करने के लिए बच्चे के खून की जांच भी की जाती है खून की जांच के माध्यम से भी बच्चे के शरीर में एनीमिया की बीमारी का पता लगाया जा सकता। खून की जांच के माध्यम से बच्चे में एक खून की कमी का भी पता लगाया जाता है ताकि बच्चे का इलाज तुरंत ही किया जा सके।
- एनीमिया की कमी का पता लगाने के लिए सिरम फेरिटिन नमक टेस्ट भी किया जाता है जिसके माध्यम से बच्चे के खून में मौजूद फेरिटिन की मात्रा की जांच की जाती है। हम आपको बता दें कि यही वह तत्व होता है जो बच्चे के शरीर में आयरन की पूर्ति करता है इसीलिए बच्चों का यह टेस्ट भी किया जा सकता है।
बच्चों में खून की कमी का इलाज कैसे होता हैं – Treatment Of Anemia Disease In Children’s In Hindi ?
अगर आपके बच्चे में एनीमिया रोग हो जाता हैं, तो उसका इलाज काफी आसानी से किया जा सकता है जैसे कि :-
- बच्चों को डॉक्टरों के द्वारा आयरन युक्त फार्मूला भी दिया जा सकता है जैसे दूध में मिलाकर पीना होगा।
- डॉक्टर के द्वारा बच्चे को आयरन की कमी पूरी करने के लिए ड्रॉप्स भी दी जा सकती हैं जिन्हें लगातार कई दिनों तक पीना होगा।
- जो बच्चे हो सर खा सकते हैं तो उन बच्चों को आयरन की कमी करने के लिए ताजे फल सब्जियां अधिक से अधिक खिलाने चाहिए। इस प्रकार भी आपके बच्चे के शरीर में आयरन की कमी पूरी की जा सकती हैं।
- एनीमिया की बीमारी का इलाज करने के लिए डॉक्टर के द्वारा आयरन युक्त बेबी फूड भी बच्चों को खिलाने की सलाह दी जाती है जिनसे बच्चों के शरीर में एनीमिया की बीमारी की कमी पूरी की जाती हैं।
- अगर बच्चों को एनीमिया की बीमारी गंभीर रूप से हो गई है और उनका शरीर लाल रक्त कोशिकाओं ( Red blood cells ) का निर्माण नहीं कर पा रहा है तो इस स्थिति में बच्चे के शरीर का खून भी बदला जा सकता हैं।
बच्चों में एनीमिया की बीमारी का घरेलू उपचार – Home Remedies For Anemia Disease In Children’s In Hindi ?
बच्चों को एनीमिया बीमारी होने पर उनका घरेलू उपचार भी किया जा सकता हैं, जो कि बच्चों के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद भी साबित होगा जैसे कि :-
1. चुकंदर
अगर आप अपने बच्चे के शरीर में आयरन की कमी तथा खून की कमी को पूरा करना चाहते हैं तो आपको अपने बच्चे को चुकंदर खिलानी होगी। यदि आपका बच्चा सिकंदर नहीं खा पाता, तो आप अपने बच्चे को चुकंदर का जूस भी पिला सकते हैं। चुकंदर का जूस पीने से बच्चे के शरीर में काफी तेजी से खून की कमी पूरी होगी।
2. पालक का जूस
अगर आपका बच्चा 2 से 5 साल की उम्र का हैं, तो आप उसे पालक का जूस भी पिला सकते हैं, क्योंकि पालक का जूस पीने से आपके बच्चे के शरीर में आयरन की कमी काफी तेजी से पूरी होगी जिसके चलते बच्चे को एनीमिया बीमारी से छुटकारा मिल जाएगा।
3. अनार
बच्चों में एनीमिया की बीमारी के इलाज के लिए आप उन्हें अनार का जूस भी पिला सकते हैं। यदि आप घर पर बना अनार का जूस बच्चों को रोजाना पिलाते हैं, तो एनीमिया की बीमारी से छुटकारा मिल जाएगा इसी के साथ-साथ उन्हें सामान्य तौर पर अनार भी खिला सकते हैं।
4. संतरा
आपको अपने बच्चे को संतरा जरूर खिलाना चाहिए, क्योंकि संतरा भी एनीमिया की बीमारी से छुटकारा दिलाने के लिए काफी फायदेमंद होता हैं, इसलिए आप अपने बच्चे को तो रोजाना संतरा भी खिला सकते हैं या फिर संतरे का जूस भी पिला सकती हैं।
Anemia in Children Conclusion
बच्चे को एनीमिया की बीमारी से किस प्रकार बचाया जा सकता है और एनीमिया होने पर बच्चे का कैसे इलाज होता है इन सब के बारे में हमने आपको बताया हैं, ताकि आप अपने बच्चे किस शरीर की रिकवरी आसानी से कर सकें। इसी के साथ साथ इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको Causes Of Anemia In Children’s In Hindi तथा Symptoms Of Anemia In Children’s In Hindi के बारे में बताया हैं।
इसी के साथ-साथ हमने आपको Diagnosis Of Anemia Disease In Children’s In Hindi तथा Treatment Of Anemia Disease In Children’s In Hindi के बारे में भी बता दिया है ताकि आप अपने बच्चे का सही इलाज कर सकें। अब यदि आपको हमसे Home Remedies For Anemia Disease In Hindi के बारे में कोई भी सवाल पूछना हो तो कमेंट सेक्शन में कमेंट करें। धन्यवाद