- फोबिया (Phobia) क्या है- जानिए फोबिया ( Fear ) के कारण लक्षण व इलाज?| What is Phobia in Know Its Symptoms, Causes, Diagnosis, and Best Treatments in Hindi.
- फोबिया क्या होता है – What Is Phobia In Hindi ?
- फोबिया ( डर ) के कितने प्रकार हैं – Types Of Fear ( Phobia ) In Hindi ?
- फोबिया ( डर ) के कारण – Causes Of Phobia ( Fear ) In Hindi ?
- फोबिया ( डर ) से बचने के उपाय – Prevention Of Phobia ( Fear ) In Hindi ?
- फोबिया ( डर ) का परीक्षण कैसे होता है – Diagnosis Of Phobia ( Fear ) In Hindi ?
- फोबिया ( डर ) का इलाज – Treatment Of Phobia ( Fear ) In Hindi ?
- फोबिया or Fear Conclusion:-
फोबिया (Phobia) क्या है- जानिए फोबिया ( Fear ) के कारण लक्षण व इलाज?| What is Phobia in Know Its Symptoms, Causes, Diagnosis, and Best Treatments in Hindi.
डर तो हर किसी को लगता ही है डर एक ऐसी स्थिति है जो कि स्वाभाविक है, लेकिन अगर किसी को बेवजह ही डर महसूस होने लगे तो, यह किसी बीमारी का लक्षण भी हो सकता है, क्योंकि बहुत बार मस्तिष्क से संबंधित बीमारियों के कारण भी व्यक्ति को हद से ज्यादा डर लगने लगता है या फिर अगर किसी व्यक्ति के साथ कोई दर्दनाक घटना घटी हो, तो उसके कारण भी उसको डर का आभास हो सकता है
डर की बीमारी को Phobia ( Phobia ) भी कहते हैं, वैसे तो यह एक आम बीमारी होती है, परंतु बहुत ही परिस्थितियों में यह व्यक्ति के लिए खतरनाक भी साबित हो सकती है। आज हम इस पोस्ट के माध्यम से आपको Phobia बीमारी के बारे में विस्तार से बताएंगे की :-
- फोबिया क्या होता है – What Is Phobia In Hindi ?
- फोबिया ( डर ) के कितने प्रकार हैं – Types Of Fear ( Phobia ) In Hindi ?
- फोबिया ( डर ) के लक्षण – Symptoms Of Phobia In Hindi ?
- फोबिया ( डर ) के कारण – Causes Of Phobia ( Fear ) In Hindi ?
- फोबिया ( डर ) से बचने के उपाय – Prevention Of Phobia ( Fear ) In Hindi ?
- फोबिया ( डर ) का परीक्षण कैसे होता है – Diagnosis Of Phobia ( Fear ) In Hindi ?
- फोबिया ( डर ) का इलाज – Treatment Of Phobia ( Fear ) In Hindi ?
फोबिया क्या होता है – What Is Phobia In Hindi ?
फोबिया एक ऐसी बीमारी होती है जिसमें व्यक्ति को अकारण ही अत्याधिक भाई लगता है। फोबिया बीमारी में व्यक्ति को डर तथा आतंक की एक गहरी भावना भी महसूस हो सकती है। इस बीमारी में भय किसी निश्चित स्थान परिस्थिति या फिर किसी वस्तु को लेकर भी हो सकता है, यह बीमारी चिंता से बिल्कुल अलग होती है।
डर भी बहुत प्रकार का हो सकता है जैसे कि किसी सुनसान जगह का डर, सार्वजनिक स्थल का डर, किसी उचाई का डर आदि। इसके अतिरिक्त कुछ सामान्य फोबिया भी है, जैसे की किसी सुरंग में जाने से डरना, किसी जानवर से डरना, या फिर खून देखकर डर लगना।
फोबिया रोग के कारण व्यक्ति के निजी जीवन पर भी काफी ज्यादा असर पड़ता है। फोबिया से पीड़ित लोगो के व्यक्तिगत संबंधों स्कूल या ऑफिस आदि के कामों में भी बाधा उत्पन्न होने लगती है।
फोबिया ( डर ) के कितने प्रकार हैं – Types Of Fear ( Phobia ) In Hindi ?
फोबिया कि बहुत से प्रकार होते हैं जैसे कि :-
1. जानवरों से डर लगना
इस प्रकार के फोबिया में रोगी को विशेषकर छोटे-मोटे जानवरों से भी काफी ज्यादा डर लगता है जैसे कि चूहा, बिल्ली, छिपकली, कुत्ता आदि।
2. प्रकृतिक पर्यावरण से डर
इस प्रकार के फोबिया में व्यक्ति को ऊंचाइयों, तूफान, पानी तथा अंधेरे आदि से डर लगता है।
3. परिस्थितियों से डर लगना
इसमें व्यक्ति को किसी विशेष परिस्थिति से डर लगता है, जैसे कि किसी तंग स्थान में डर लगना, गाड़ी चलाते हुए डर लगना, हवाई जहाज में बैठते हुए डर लगना, यदि किसी सुरंग के अंदर जा रहे हैं तो वहां पर डर लगना आदि।
4. खून या इंजेक्शन से डर लगना
- इस प्रकार के फोबिया में व्यक्ति को किसी का खून देखकर या चोट या फिर उसे इंजेक्शन देखकर डर लगता है।
- इसके अतिरिक्त कुछ फोबिया ऐसे भी होते हैं, जिनमें व्यक्ति को दम घुटने का डर या फिर कैंसर आदि बीमारियों का भी काफी ज्यादा डर लगता है।
फोबिया ( डर ) के लक्षण – Symptoms Of Phobia In Hindi ?
फोबिया के बहुत से लक्षण हो सकते हैं जैसे कि :-
- अगर हम किसी डर का सामना करके उसको बाद में याद करते हैं, तो अचानक से बहुत ज्यादा डर लगना या चिंता होना और दिमाग में भगदड़ महसूस होना भी फोबिया का लक्षण है।
- व्यक्ति को पता भी होता है कि वह अकारण ही डर महसूस कर रहा है, परंतु वह उस को नियंत्रित नहीं कर पाता और वह निरंतर डर को महसूस करता है।
- अगर किसी व्यक्ति को किसी वस्तु या स्थिति से डर लगता है और वह उसके सामने आ जाने पर व्यक्ति गंभीर प्रतिक्रिया करता है।
- डर महसूस होने के कारण हमारा मस्तिष्क भी सही ढंग से काम करना बंद कर देता है, जिसके कारण व्यक्ति कुछ सोच या समझ नहीं पाता।
- अगर व्यक्ति को डर लग रहा है और उसी के साथ साथ उसे काफी ज्यादा पसीना आ जाता है और हृदय की गति भी तेज हो जाती है। इसी के साथ साथी अभी सांस लेने में भी कठिनाई हो रही है, तो यह भी फोबिया के ही लक्षण है।
- अगर कोई व्यक्ति कोनिया चोट को देखकर तुरंत ही लड़खड़ा ने लगता है या फिर बेहोश हो जाता है, तो यह भी फोबिया का लक्षण है।
- बच्चों में चिड़चिड़ापन होना या चिल्लाना और माता-पिता से दूर जाने से डरना आदि भी फोबिया के लक्षण हो सकते हैं।
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फोबिया ( डर ) के कारण – Causes Of Phobia ( Fear ) In Hindi ?
- आमतौर पर यह बीमारी बच्चों में 4 से 8 साल की उम्र के बीच विकसित होती है, कुछ मामलों में तो यदि 4 से 8 साल के बीच बच्चों के जीवन में कोई ऐसी घटना घटी है, जो कि काफी डरावनी थी तो उसके कारण भी यह बीमारी उन्हें हो सकती है।
- अगर आपके परिवार में किसी को यह बीमारी है, तो उसके कारण भी आपको यह बीमारी होने की संभावना रहती है क्योंकि कुछ बीमारियां अनुवांशिक होती हैं।
- अगर किसी बच्चे की मां को मकड़ी से काफी ज्यादा डर लगता है, तो बच्चे में भी यह फोबिया विकसित होने की काफी संभावनाएं हो जाती हैं।
- फोबिया बच्चों को माता-पिता से भी लग जाता है, या फिर अगर वह बचपन में भूत प्रेत की ज्यादा कहानियां सोने या फिर फिर में देखें तो उसके कारण भी उनमें है विकसित हो सकता है।
- अगर किसी व्यक्ति को मस्तिष्क संबंधित बीमारियां हैं, तो उसके कारण भी उसमें फोबिया विकसित हो सकता है।
- बहुत लोगों में तनाव के कारण भी हो गया विकसित हो सकता है।
- अगर किसी बच्चे को बचपन से ही किसी चीज के बारे में बता कर उस तीज से बच्चे को डराया जाए, तो भी उस चीज का फोबिया उस बच्चे के मन में विकसित हो सकता है।
- अगर आप अपने बच्चों को बचपन में कुछ ज्यादा ही डरा धमका कर रखते हैं तो उसके कारण भी बच्चों को फोबिया हो सकता है क्योंकि बचपन से बच्चे जिस प्रकार रहते हैं, वह बड़े होकर उस परिस्थिति से बाहर निकलने की कोशिश तो करते हैं, परंतु वह फोबिया के कारण नहीं निकल पाते। इसीलिए बच्चों को बचपन में डरा धमकाकर नहीं रखना चाहिए।
फोबिया ( डर ) से बचने के उपाय – Prevention Of Phobia ( Fear ) In Hindi ?
- अगर आप के बच्चे को फोबिया है तो बच्चे को फोबिया से बचाने के लिए आपको उसकी हिम्मत बढ़ानी होगी। बच्चों को फोबिया से बचाने के लिए आप उन्हें डर से निपटने के लिए अच्छा प्रशिक्षण दे सकते हैं।
- बचपन में अपने बच्चों को कभी भी भूत प्रेत की ज्यादा कहानियां नहीं सुना नहीं चाहिए या फिर उन्हें किसी चीज से ज्यादा नहीं डराना चाहिए, क्योंकि तब भी उनके मन में उस चीज का फोबिया पैदा हो सकता है।
- बचपन में आपको अपने बच्चों की हिम्मत बढ़ाने चाहिए यदि वह डरते भी हैं, तो उन्हें डर का सामना करने की आदत डालनी चाहिए।
- आपको अपने बच्चों को जन्म से ही निडर बनाना चाहिए और यदि वह बचपन में किस चीज से डरते भी हैं, तो उन्हें उसके बारे में पूरा बताना चाहिए।
- खास तौर पर यह बीमारी कम उम्र में ही बच्चों को अपना शिकार बनाती है इसीलिए कम उम्र में बच्चों को इस प्रकार के हादसों से भी जिनसे की उन्हें काफी खतरा महसूस हो इसके अतिरिक्त घर में लड़ाई झगड़े का माहौल बनाकर नहीं रखना चाहिए इसकी वजह से भी बच्चों को फोबिया हो सकता है।
फोबिया ( डर ) का परीक्षण कैसे होता है – Diagnosis Of Phobia ( Fear ) In Hindi ?
अगर आपको अपने बच्चों में फोबिया के लक्षण दिखाई देते हैं, तो आप अपने बच्चों को डॉक्टर के पास भी ले जा सकते हैं। डॉक्टर बच्चे से बहुत से सवाल पूछता है और वह आपसे भी बहुत से सवाल पूछता है। जिसके माध्यम से डॉक्टर फोबिया का पता लगाता है, क्योंकि डॉक्टर बच्चों से उस चीज के बारे में पूछता है जिससे उन्हें डर लगता है।
फोबिया ( डर ) का इलाज – Treatment Of Phobia ( Fear ) In Hindi ?
फोबिया का इलाज करने के लिए डॉक्टर के द्वारा बहुत से कदम उठाए जा सकते हैं जैसे कि :-
- डॉक्टर फोबिया के मरीज किस तिथि के हिसाब से उसे दवाइयां भी दे सकता है। क्योंकि फोबिया के कारण व्यक्ति को घबराहट तथा दिल की धड़कनें भी बढ़ जाती हैं और इसके कारण और भी बहुत सी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसीलिए रोक कर इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भी दवाई देता है।
- डॉक्टर फोबिया के मरीज को एंटीडिप्रेसेंट दवाइयां भी देता है। जिनकी सहायता से वह फोबिया के कारण डिप्रेशन में नहीं जाते।
- इसके अतिरिक्त डॉक्टर मरीज की थेरेपी भी करने को बोलता है, जिसके माध्यम से मानसिक डर का इलाज किया जा सकता है। इसी के साथ-साथ डॉक्टर मरीज की जीवन शैली में भी कुछ बदलाव करने को कहता है जैसे कि, मरीज को अपना खानपान सही रखना चाहिए। हमेशा पोस्टिक आहार का ही सेवन करना चाहिए।
- डॉक्टर यह भी सलाह देता है कि, फोबिया के मरीजों को रोजाना व्यायाम जरूर करना चाहिए। क्योंकि व्यायाम करने से भी उन्हें फोबिया से काफी हद तक छुटकारा मिल सकता है।
- फोबिया बीमारी के लक्षण दिखने पर मरीज को बिल्कुल भी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। आप जितनी ज्यादा मरीज को अपने पास रखेंगे तो वह स्वस्थ रहेगा। यदि आप उसको अकेला छोड़ देते हैं, तो वह मरीज उस चीज के बारे में सोचने लगेगा जिससे उसे काफी ज्यादा डर लगता है।
फोबिया or Fear Conclusion:-
इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको Phobia Se Bachne Ke Upay बताए हैं। इसी के साथ-साथ हमने आपको Causes Of Phobia In Hindi तथा Treatment Of Phobia In Hindi के बारे में बताया है। अगर अभी भी आपको हमसे Prevention Of Phobia in Hindi से संबंधित कोई प्रश्न पूछना हो, तो कमेंट सेक्शन में कमेंट करें। धन्यवाद